आजमगढ़। अंगिरा भारद्वाज धर्मपत्नी जिलाधिकारी विशाल भारद्वाज कुछ दिनों पहले पहुंची एक चैनल के स्टूडियो में, जहां उन्होंने चैनल से बात करते हुए अपने आजमगढ़ के अनुभव को साझा करते हुए बताया कि कैसे वह और उनकी टीम आजमगढ़ में लड़कियों की शिक्षा एवं महिलाओं को सशक्त करने के लिए कार्य कर रही है। पहले तो उन्होंने बताया कि कैसे उनका और उनके परिवार का आजमगढ़ से एक अलग ही लगाव है। अंगिरा भारद्वाज ने बताया कि उनके पिता यही आजमगढ़ की चंदेश्वर विद्यालय से पढ़े हुए हैं, और जब वे अधिकारी बने तो उनकी पहली पोस्टिंग भी आजमगढ़ में ही थी। उन्होंने साथ ही बताया कि उनके ससुर भी 1977 से 1979 के बीच चकबंदी अधिकारी के पद पे आजमगढ़ में कार्यरत रहे। इस प्रकार उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी महोदय की पढ़ाई की शुरुआत एक तरह से आजमगढ़ से ही हुई थी। उनके भाई भी 2009 से 2011 के बीच आजमगढ़ में जुडिशल मजिस्ट्रेट के पद पर कार्यरत रहे। इस प्रकार उन्होंने बताया कि जब मैं आजमगढ़ आई इस बार, तो किस प्रकार मुझे और जिलाधिकारी महोदय को हम दोनों लोगो के पिता के कई सारे संपर्की मिले जिन्होंने हमसे कई सारी पुरानी बातें साझा की और वह सब सुनकर ऐसा लगा जैसे हम अपने एक दूसरे घर आ गए हैं। उन्होंने बताया कि वह खुद को खुशकिस्मत समझती हैं कि उनके परिवार में शुरू से ही शिक्षा दीक्षा का माहौल रहा और उनके बाबा से लेकर उनके पिता तक किसी ने भी लड़का और लड़की की शिक्षा में कोई भेदभाव नहीं किया कभी। उन्होंने अपना यह भी अनुभव साझा किया कैसे उन्होंने अपने ही रिश्तेदारों में ऐसा देखा कि वह लड़का और लड़की की शिक्षा में कैसे भेदभाव किया करते थे। परंतु आज की तारीख में समय बदल रहा है लोग अब पहले की तुलना में ज्यादा जागरूक हो चुके हैं, वह यह समझ रहे हैं की लड़का और लड़की दोनों को ही अच्छी शिक्षा देना आवश्यक है। उन्होंने अपने विचारों को रखते हुए बोला कि लोगों को इस बात को समझना होगा कि आज की डेट में लड़का हो चाहे लड़की उनकी शिक्षा और स्वास्थ्य से कभी भी किसी भी प्रकार का समझौता न करें। अपनी बात को आगे बढ़ते हुए अंगिरा भारद्वाज जी बताया कि कैसे वह आकांक्षा समिति से आजमगढ़ में जुड़कर यहां की बच्चियों की शिक्षा के लिए काम कर रही हैं और खास तौर से उन महिलाओं को सशक्त करने के लिए कार्यरत हैं जिन्हें किसी प्रकार का समाज और सरकार से सहयोग नहीं मिल पा रहा है। हम आपको बताते चलें कि जिले में जिलाधिकारी की पत्नी ही आकांक्षा समिति की अध्यक्ष होती हैं। आकांक्षा समिति का काम होता है की सरकार द्वारा महिलाओं एवं बाल कल्याण के लिए चलाई जा रही सरकारी नीतियों को उन तक सुचारू रूप से पहुंचने में शासन और सरकार का सहयोग करें। महिलाओं का शिक्षा से जुड़ा होना एवं सशक्त होना इसलिए भी जरूरी है ताकि वह आने वाले किसी भी समय में खुद के पैरों पर खड़ी हो सके वह उन्हें जीवन में किसी प्रकार की बैसाखी की आवश्यकता ना लगे। उन्होंने कहा कि मैं हर लड़की को नौकरी करने के लिए नहीं कह रही क्योंकि नौकरी करना या ना करना या हर लड़की या महिला का अपना निर्णय हो सकता है, परंतु हर लड़की का शिक्षा के दृष्टिकोण से योग्य होना अति आवश्यक है, शिक्षा एक ऐसी चीज है जो आपके जीवन को और आपके परिवार को देखने का एक अलग नजरिया प्रदान करती है। शादी के बाद महिलाओं के जीवन को खत्म सा माना जाना इस सवाल पर अंगिरा भारद्वाज ने कहा कि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है शादी के बाद हां यह जरूर है कि हर महिला के साथ एक नई जिम्मेदारी जुड़ जाती है परंतु उन जिम्मेदारियां का निर्वहन करना भी हमारा ही दायित्व है। अंगिरा भारद्वाज जी ने चैनल के साथ किए गए इस इंटरव्यू में बहुत ही सभ्य एवं सरल तरीके से अपनी बातों को रखा की कैसे समाज में हम महिलाओं को सशक्त करके एक बेहतर समाज का निर्माण कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि इसी मुहिम को आगे बढ़ते हुए आकांक्षा समिति के सहयोग से उन्होंने जिले में आने के बाद दो मेलों का आयोजन भी करवाया, पहला मेला तो उम्मीद के अनुसार सफल नहीं रहा क्योंकि लोगों को इसकी जानकारी सही से नहीं हो पाई थी, परंतु दूसरे मेले का आयोजन अत्यंत ही सफल रहा। हमने कमजोर तबके की महिलाओं से संपर्क स्थापित किया, उनसे पूछा कि वह क्या बना सकती हैं, उनका विशेष हुनर क्या है, ऐसी कौन सी चीज है जो बेची जा सकती है उनके द्वारा बनाई गई, फिर इन सब चीजों को बनाने के लिए राॅ पदार्थ की व्यवस्था कहां से कराई जाए, फिर उसको खरीदने के लिए आर्थिक व्यवस्था कैसे बनाई जाए और फिर यह सब हो जाने के बाद उसे बचेगा कहां । हमने यह सब चीजें जब पता की तब हमें पता चला की हुनर तो है बस कमी है तो संसाधनों की और उसे ही हमें पूरा करना था। जिसके लिए हमने कई सारे तरीके अपनाए जैसे कि कुछ को एमएसएमई के माध्यम से लोन की सुविधा उपलब्ध कराई, कुछ को सीधे डोनेशन के माध्यम से सुविधा उपलब्ध कराई और भी कई सार्थक तरीकों से उन तक मदद पहुंचाने का प्रयास किया। हमारे प्रयासों का परिणाम यह निकला कि हमारा दूसरा मेला अत्यंत ही सफल रहा। लोगों ने इस तरह से हमसे अपनी बातें कहीं कि हमारे जिले में इतना सब कुछ उपलब्ध है और कभी हम इस पर ध्यान ही नहीं दे पाए। खैर हम खुश थे की इसी बहाने इन महिलाओं के हुनर को एक प्लेटफार्म मिला और उन्हें अपनी आर्थिक व्यवस्था सुधारने का एक मौका भी मिला। अंगिरा भारद्वाज जी ने आजमगढ़ में चल रहे अन्य महिला स्वयं सहायता समूह की भी सराहना कि, कैसे वे सब समूह समाज में लड़कियों की शिक्षा एवं महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए कार्य कर रहे हैं। उन्होंने सराहना करते हुए कहा कि एक समूह है जो सहजन के पाउडर से लड्डू बनाते हैं, एक महिला स्वयं सहायता समूह है जो गाय के गोबर के दिये बनता है और उससे उन्हें रोजगार उपलब्ध होता है, एक समूह है जो हर्बल कलर बना रहा है, तो एक समूह है जो सिलाई बुनाई के कामों के सहारे महिलाओं को रोजगार प्रदान करने में सहयोग कर रहा है। इस प्रकार से अंगिरा भारद्वाज ने सभी समूहों की तारीफ करते हुए और लोगों से अनुरोध किया कि वह आगे आए एवं जो आर्थिक रूप से खुद सशक्त हैं वह अपने से आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को सहयोग करें ताकि उनके परिवार का भी विकास हो सके और इसमें खास तौर से महिलाओं के रोजगार एवं छोटी बच्चियों की शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाए।
लड़की और लड़के के स्वास्थ्य और शिक्षा में कभी ना करें लापरवाही और भेदभाव - अंगिरा भारद्वाज
मई 02, 2024
0
Tags