आंध्र प्रदेश पुलिस ने कहा कि बंदरगाह शहर और उसके आसपास के लगभग 150 युवा एक साल से कंबोडिया में फंसे हुए हैं जहां उन्हें चीनी संचालकों द्वारा साइबर अपराध और पोंजी घोटाले को अंजाम देने के लिए मजबूर किया जा रहा है। 18 मई को विजाग पुलिस ने तीन लोगों को मानव तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया था।कंबोडिया में भारतीय मानव तस्करी रैकेट का भंडाफोड़ हुआ है। आंध्र प्रदेश पुलिस ने इस मामले को लेकर मंगलवार को कहा कि 20 मई को लगभग 300 भारतीयों ने कंबोडिया में अपने आकाओं के खिलाफ 'विद्रोह' किया। तस्करों के विरोध के कारण उनमें से अधिकांश को विदेश में गिरफ्तार कर लिया गया।पुलिस ने कहा कि बंदरगाह शहर और उसके आसपास के लगभग 150 युवा एक साल से कंबोडिया में फंसे हुए हैं, जहां उन्हें चीनी संचालकों द्वारा साइबर अपराध और पोंजी घोटाले को अंजाम देने के लिए मजबूर किया जा रहा है।विशाखापत्तनम के पुलिस आयुक्त ए रविशंकर ने कहा कि तस्करी करके लाए गए इन भारतीयों ने कंबोडिया के जिनबेई और कंपाउंड, सिहानोकविले में बड़े पैमाने पर दंगे कराए, जो कथित तौर पर साइबर अपराध का केंद्र है।शंकर ने एक विज्ञप्ति में कहा कि कई लोगों ने विशाखा सिटी पुलिस के व्हाट्सएप नंबरों पर फोन किया और वीडियो भेजे। कल (सोमवार) लगभग 300 भारतीयों ने कंबोडिया में अपने आकाओं के खिलाफ बड़े पैमाने पर 'विद्रोह' किया। वहीं, 18 मई को, विजाग पुलिस ने चुक्का राजेश, एस कोंडाला राव और एम ज्ञानेश्वर राव को मानव तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया था, जो भारत के युवाओं को सिंगापुर में डेटा एंट्री नौकरियों के लिए लुभाते थे, लेकिन वास्तव में साइबर अपराध को अंजाम देने के लिए उन्हें कंबोडिया में भेज देते थे।