फर्जी दस्तावेज की मदद से आईसीआईसीआई बैंक से 4.45 करोड़ रुपये का ऋण लेने वाले रुद्रांश प्रकरण में बैंक कर्मचारियों की साझेदारी से फर्जी ऋण देकर जालसाजी करने वालों पर बैंक अफसर मेहरबान दिख रहे हैं।स्थानीय बैंक प्रबंधन से कोई मदद नहीं मिलने पर पुलिस ने बैंक के हेड ऑफिस और रिजर्व बैंक को पत्र लिखा है।इसके बाद भी हेड ऑफिस से कोई जवाब नहीं आने से बैंक अफसरों की मंशा साफ होने लगी है। यही वजह है कि अब पुलिस अपने स्तर से साक्ष्य जुटाने में लग गई है। ऐसे में पुलिस कर्मचारियों के साथ उस बैंक अफसर का भी गर्दन दबोच सकती है, जो फर्जी ऋण के फाइल पर हस्ताक्षर किए थे।खबर है कि एसएसपी ने इस पूरे प्रकरण की जांच कर रहे एएसपी को साक्ष्य जुटाने के निर्देश दिए हैं। वहीं, एक बार पुलिस रिमांइडर भी भेजने की तैयारी में है।पुलिस ने कई बार स्थानीय बैंक प्रबंधन से यह जानकारी मांगी कि किन कर्मचारियों ने रुद्रांश के ट्रक ड्राइवर को बिना किसी कागजात के ढाई करोड़ रुपये का ऋण दे दिया, लेकिन प्रबंधन कोई जवाब नहीं दे रहा है। इसके बाद ही पुलिस ने बैंक के हेड ऑफिस से जवाब मांगा और पत्राचार किया, लेकिन इसका भी कोई जवाब नहीं आया।पुलिस ने बैंक के हेड ऑफिस को पत्र भेज कर बताया है कि कैसे उनके बैंक के रुपयों की जालसाजी की गई है और कर्मचारियों को बचाने में लोकल स्तर के अधिकारी लगे हैं। वहीं आरबीआई से बैंक का पंजीकरण होने की वजह से उन्हें भी जानकारी दी गई है। लेकिन, कोई जवाब नहीं आने पर पुलिस ने खुद से साक्ष्य जुटाना शुरू कर दिया है।बैंक में अपनी पैठ के दम पर ही रुद्रांश ने फर्जी बैनामा कराकर पहले ऋण लिया और फिर अपने ट्रक ड्राइवर रियाज के नाम से ढाई करोड़ रुपये का ऋण करा दिया। पुलिस ने बैंक से संपर्क कर दोषी कर्मचारियों का नाम मांगा, लेकिन नहीं बताया गया।बैंक के हेड ऑफिस की ओर से अभी तक कोई जवाब नहीं आने पर पुलिस ने अपनी जांच तेज कर दी है। पुलिस के हाथ कई सुराग लगे हैं। पुलिस के पास एक ऐसा फुटेज है, जिसमें रुद्रांश के रात में बैठकी करते हुए बैंक के दोषी कर्मचारी नजर आ रहे हैं।अब अगर आम आदमी 10 हजार रुपये का ऋण लेने जाता है तो उससे इतने दस्तावेज मांगे जाते हैं कि वह परेशान हो जाता है। फिर करोड़ों के ऋण में यूं ही बैंक कर्मचारियों ने आंखें बंद कर ली होगी, यह किसी के गले के नीचे नहीं उतर रहा है। इस वजह से पुलिस अपने स्तर से भी साक्ष्य जुटा रही है। बताया जा रहा है कि पुलिस को कई महत्वपूर्ण जानकारियां भी मिलीं हैं।एसएसपी गौरव ग्रोवर ने बताय कि बैंक से एक ट्रक चालक को ढाई करोड़ रुपये का ऋण देना गंभीर प्रकरण है। पुलिस का रुख साफ है, जो भी दोषी होगा उस पर कार्रवाई होनी ही है। बैंक के स्टेट हेड से कहने के बाद भी दोषी कर्मचारियों का नाम नहीं बताया गया।आरबीआई और बैंक के हेड ऑफिस को पत्र भेजा गया, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। पुलिस अपने स्तर से जांच कर रही है। पुलिस के पास कई साक्ष्य मौजूद है, जिसके आधार पर जांच को आगे बढ़ाया जाएगा। जो भी दोषी होगा, उस पर कार्रवाई की जाएगी।