आजमगढ़ । जिला एकीकरण समिति के तत्वाधान में जिला पंचायत अध्यक्ष श्री विजय यादव की अध्यक्षता में आज परमेश्वरी लाल गुप्त जी के जयंती पर विचार गोष्ठी कार्यक्रम का आयोजन विकास भवन के शास्त्री सभागार में किया गया।डा० परमेश्वरीलाल गुप्त का जन्म आजमगढ़ नगर के एक समृद्ध अग्रवाल परिवार में 24 दिसम्बर, 1914 ई० को हुआ था। सोलह वर्ष की उम्र से ही वह स्वतन्त्रता आन्दोलन से जुड़ गये थे, फलस्वरूप उन्हें छः माह के कठोर कारावास का दण्ड भी भुगतना पड़ा था। बीच-बीच में कई व्यवधानों के कारण उन्होने काफी विलम्ब से वर्ष 1952 में एम०ए०, 1960 ई० में पी०एच०डी० की उपाधि प्राप्त की। समाज एवं साहित्य सेवा के प्रति उनकी रूचि प्रारम्भ से ही थी। उन्होने आजमगढ़ नगर में एक पुस्तकालय एवं एक महिला विद्यालय की स्थापना में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया, जो अग्रवाल पुस्तकालय एवं अग्रसेन महिला महाविद्यालय, आजमगढ़ के नाम से प्रसिद्ध है। मुद्रण के उद्देश्य की प्रर्ति के लिए उन्होने एक प्रभात प्रिंटिंग काटेज की स्थापना 1933 ई० में की जहाँ से 1934 ई० में साप्ताहिक पत्र' संदेश का प्रकाशन शुरू हुआ। इसमें सामयिक समाचारों के साथ ही कविता, कहानी, लेख, नाटक आदि भी छपते थे। 1934-35 ई० में वह आजमगढ़ नगर के लिए आज के संवाददाता नियुक्त हुए, जिसमें आजमगढ़ नगर की तत्कालीन स्थानीय, राजनीतिक गतिविधियों पर समाचार प्रकाशित किया जाता रहा। अप्रैल, 1943 ई० में वे आज दैनिक समाचार पत्र वाराणसी संपादक नियुक्त हुए। वाराणसी निवास में उनकी रूचि प्राचीन भारतीय इतिहास एवं पुरातत्व के क्षेत्र में भी बढ़ी। यहाँ उन्हें जाने माने पुरातत्ववेता अनन्त सदाशिव अल्तेकर का सान्निध्य मिला तथा मुद्राशास्त्र के क्षेत्र में दक्षता प्राप्त कर उन्होने अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की। भिन्न भिन्न तिथियों में वह भारत कला भवन, वाराणसी के सहायक संग्रहालयाक्ष्य, प्रिंस आफ वेल्स म्यूजियम बाम्बे में मुद्रातत्ववेत्ता, ब्रिटिस म्यूजियम लंदन के फेलो एवं पटना संग्रहालय के अध्यक्ष पद पर कार्यरत थे। पटना संग्रहालयाध्यक्ष के पद से सन 1972 ई० में सेवा निवृत्त हुए। कुछ वर्षों के पश्चात् नासिक में व्यवस्थित होकर उन्होने वर्ष 1984 ई० में इंडियन इन्स्टीट्यूट ऑफ रिसर्च एण्ड न्यूमिसमेटिक स्टडीज नाम की संस्था की स्थापना की, जिसके वह स्वयं वर्ष 1992 तक डाइरेक्टर रहे। उनकी गणना विश्व के प्रमुख मुद्रातत्वविदों में की जाती है।विविध क्षेत्रों में की गयी सेवाओं के दृष्टिगत उन्हे नागरी प्रचारिणी सभा काशी, एशियाटिक सोसाइटी कलकत्ता, भारतीय मुद्रातत्व परिषद, अमेरिका मुद्रातत्व संगठन द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। 1986 ई० में उन्हे अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा आयोग का सदस्य बनाया गया था। उनके द्वारा इतिहास, पुरातत्व, विधि एवं हिन्दी साहित्व से सम्बन्धित लगभग तीन दर्जन पुस्तकों की रचना की गयी है तथा हिन्दी एवं अंग्रेजी की लब्धप्रतिष्ठ पत्र पत्रिकाओं में पाँच सौ से अधिक शोधपरक लेख प्रकाशित हुए है।' प्रसाद के नाटक उनकी अतिमहत्वपूर्ण आलोचना पुस्तक है। मुल्ला दाउद कृत चंदायन एवं कुतुबन कृत मृगावती को, जो आधे अधूरे रूप में प्राप्त थे, को देश-विदेश के पुस्तकालयों, संग्रहालयों से प्राप्त विवरण के आधार पर पूर्णता प्रदान की। उनकी अतिरिक्त इतिहास, पुरातत्व पर हिन्दी में पुरातत्व परिचय, हमारे देश के सिक्के, गुप्त साम्राज्य एवं अंग्रेजी में क्वायन्स आदि बहुत सी पुस्तकें उनके द्वारा लिखी गयी है, जिनसे भारतीय संस्कृति गौरवान्वित होती है। गुप्त जी राहुल जी के भी निकट सम्पर्क में थे। अपनी रचनाओं में राहुल जी ने कई स्थानों पर उनके योगदान की प्रशंसा की है। बिसराम के बिरहो के संकलन में उनकी मुख्य भूमिका थी। गुप्त जी की मृत्यु लगभग 87 वर्ष की अवस्था में 29 जुलाई 2001 को मुम्बई में हुई। उनका योगदान भारतीय इतिहास के लिए मूल्यवान धरोहर के लिए जाना जाता है।जिला पंचायत अध्यक्ष ने कहा कि हमे गर्व है इस आजमगढ़ की मिट्टी पे जहां एक से बढ़कर एक ऋषि, मुनि, साहित्यकार, स्वतंत्रता सेनानी पैदा हुए हैं, उन्हीं में से एक थे डा .परमेश्वरी लाल गुप्त जी I इन्होंने अंग्रेजी हुकूमत से लोहा लिया और देश के लिए कई बार जेल गए I इन्होंने महिलाओं की शिक्षा के विशेष योगदान दिया I जिला विकास अधिकारी श्री संजय कुमार सिंह ने बताया कि हमारा समाज सदैव परमेश्वरी लाल गुप्त जी का ऋणी रहेगा,इनके कार्य,इनके साहस भरी गाथा हमको सदैव प्रेरणा के स्रोत रहेंगी I हमे अपने महापुरुषों को और इनके कार्यों को सदा याद रखना पड़ेगा,मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ0 आईएन तिवारी ने कहा कि आदरणीय गुप्त जी ने समाज के लिए बहुत बड़े कार्य किए I ये बचपन से बहुत साहसी थे I इन्होंने देश की कई प्रकार से सेवा की, साहित्य से, शोध पत्र, समाचार पत्र और मुद्रा शास्त्री के नाम से जाने गए Iइस अवसर पर प्रभुनाथ पांडे 'प्रेमी' जी, घनश्याम यादव, गुनराज, विनोद सिंह, रविंद्र नाथ, अनीस अहमद ,बालवीर प्रसाद, कन्हैयालाल आदि लोग उपस्थित थे।