चालक-परिचालक बोले- 'किलोमीटर टारगेट के लिए अफसरों की 'सेवा' जरूरी'
कृष्ण, देवल ब्यूरो, अंबेडकर नगर ।उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (UPSRTC) का अकबरपुर डिपो भ्रष्टाचार के अड्डे में तब्दील हो चुका है! नामचीन अधिकारी सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक हरिओम श्रीवास्तव पर गंभीर आरोप लगे हैं। कागजातों में फेल पड़ी गाड़ी से ही ये अफसर सड़कों पर दौड़ रहे हैं, वो भी विभाग की 'कृपा' से। लेकिन ये तो बस बर्फ की चोटी है। अंदर का काला खेल तो और भी खौफनाक है- चालक और परिचालक खुलासा कर रहे हैं कि किलोमीटर टारगेट पूरा करने के लिए अफसरों को 'सेवा' देनी पड़ती है, वरना 'भगवान भरोसे' रहो! और ऊपर से, खुली भर्ती निकलने के बावजूद डिपो में एक भी नया एप्लीकेंट नजर नहीं आता। क्या ये सारा सिस्टम 'अंदरूनी सर्किट' के हवाले है?सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक, सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक हरिओम श्रीवास्तव की एक प्राइवेट गाड़ी पर टैक्स और फिटनेस के कागजात लंबे समय से एक्सपायर हैं। फिर भी, परिवहन विभाग की 'खास कृपा' से ये गाड़ी बिना किसी रुकावट के सड़कों पर फर्राटा भर रही है। एक वरिष्ठ चालक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "अफसर साहब की गाड़ी चेकिंग से बच जाती है क्योंकि सब जानते हैं। हमारी बसें तो हर किलोमीटर पर निगरानी में, लेकिन अफसरों की 'सेवा' में कोई कमी नहीं आनी चाहिए।" और ये 'सेवा' क्या है? डिपो के चालक-परिचालकों ने चौंकाने वाले राज खोले हैं। किलोमीटर स्कीम के तहत हर चालक को मासिक टारगेट पूरा करना होता है। लेकिन 'सिस्टम' ऐसा कि टारगेट हिट करने के लिए अफसरों को 'खास उपहार' या 'सेवा' देनी पड़ती है। एक परिचालक ने फोन पर कहा, "जिसको किलोमीटर पूरा करना हो, वो सबकी सेवा करे। नहीं तो रिपोर्ट में हेरफेर हो जाता है। बसें खाली चलाओ या भगवान पर भरोसा करो। यही तो है हमारा 'परिवहन विभाग'!" ये खुलासा डिपो के 20 से ज्यादा कर्मचारियों से बातचीत में सामने आया, जो नाम न छापने पर राज खोलने को तैयार हो गए।भ्रष्टाचार के इस जाल में भर्ती प्रक्रिया क्यों ठप? हाल ही में यूपी परिवहन निगम ने चालक की खुली भर्ती निकाली, जिसमें हजारों पदों पर आवेदन आमंत्रित किए गए। लेकिन अकबरपुर डिपो में एक भी नया चेहरा नजर नहीं आता। कर्मचारी बोले, "पुराने सिस्टम में ही सब संतुष्ट हैं। नई भर्ती से तो 'शेयर' बंटेगा, इसलिए कोई इच्छुक ही नहीं।" क्या ये विभागीय साजिश है, जिससे भ्रष्टाचार का चक्र चलता रहे?यूपीएसआरटीसी के इतिहास में भ्रष्टाचार के ऐसे मामले नये नहीं। 2018 में आगरा-अलीगढ़ रूट पर फर्जी टिकट घोटाले में 54 चालक-परिचालक बर्खास्त हुए, जबकि वरिष्ठ अफसर सस्पेंड। लेकिन अकबरपुर का ये मामला सबसे काला लग रहा है, जहां खुद अफसर 'फेल गाड़ी' से नियम तोड़ रहे हैं।अब सवाल उठता है- क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की 'जीरो टॉलरेंस' वाली नीति यहां फेल हो रही है? विभाग से तत्काल संपर्क करने पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला। सहायक प्रबंधक हरिओम श्रीवास्तव का पक्ष लेने की कोशिश की गई, लेकिन फोन पर 'नो कमेंट'। डिपो प्रबंधन ने कहा, "जांच होगी।" लेकिन कर्मचारी डर रहे हैं- "जांच तो नाम की होगी, सिस्टम वही बदलेगा।"ये खुलासा यूपी के लाखों यात्रियों के लिए नहीं बल्कि अधिकारी के लिए खतरे की घंटी है। टैक्स-फेल गाड़ी सड़क पर, भ्रष्टाचार से भरा डिपो, और टारगेट के नाम पर 'सेवा' का खेल! क्या परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह इस पर तुरंत एक्शन लेंगे? या ये मामला भी फाइलों में दब जाएगा? जनता इंतजार कर रही है- न्याय का, या फिर एक और 'कृपा' का?
