संघर्षों को मात देकर हासिल की सफलता, बड़ी मम्मी भानमती देवी ने निभाई मां की भूमिका
कृष्ण, देवल ब्यूरो, अंबेडकर नगर । सुरक्षित विधानसभा आलापुर क्षेत्र के अंतर्गत ग्रामसभा सरफुद्दीनपुर निवासी रुक्मिणी मौर्या ने कठिन परिस्थितियों में भी हार न मानते हुए अपनी लगन और मेहनत के बल पर बड़ी उपलब्धि हासिल की है।उन्होंने डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ में नर्सिंग ऑफिसर पद पर चयनित होकर अपने परिवार, क्षेत्र और जिले का मान बढ़ाया है।नेताओं ने किया सम्मानित रुक्मिणी की इस सफलता की जानकारी मिलते ही जिले में खुशी की लहर दौड़ गई।जिले के वरिष्ठ बसपा नेता जयप्रकाश मौर्य, मातृछाया हड्डी अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. दीपक मौर्य, वरिष्ठ समाजसेवी रमेश मौर्य, तथा समाजसेवी/शिक्षक विजय कुमार मौर्य अपनी टीम के साथ उनके घर पहुंचे।सभी ने रुक्मिणी को मौर्यवंश के संस्थापक चक्रवर्ती राजा चंद्रगुप्त मौर्य और अखंड भारत के निर्माता सम्राट अशोक महान का स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।इस अवसर पर परिजनों और ग्रामीणों ने मिठाई बांटकर हर्ष व्यक्त किया।बचपन में मां का साया छिना, बड़ी मम्मी ने निभाई जिम्मेदारी रुक्मिणी मौर्या के पिता राजाराम मौर्य हैं।बचपन में ही उनकी मां का देहांत हो गया था, जिसके बाद उनका पालन-पोषण उनकी बड़ी मम्मी भानमती देवी ने किया।
भानमती देवी ने कभी बेटा-बेटी में भेदभाव नहीं किया और रुक्मिणी को हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।
रुक्मिणी कहती हैं —
“बड़ी मम्मी और बड़े पापा ने कभी मुझे यह महसूस नहीं होने दिया कि मां नहीं हैं। उन्होंने हमेशा कहा — मेहनत करो, बेटा-बेटी में कोई फर्क नहीं होता।”
रुक्मिणी ने हाईस्कूल (2012) और इंटरमीडिएट (2014) की परीक्षा रांगेय राघव इंटर कॉलेज से उत्तीर्ण की।इसके बाद स्नातक (2017) सर्वोदय महाविद्यालय से किया और जीएनएम (2020) श्री दुर्गा जी नर्सिंग कॉलेज, आजमगढ़ से पूरी की।उन्होंने किसी कोचिंग संस्थान की सहायता लिए बिना अपने बड़े भाई धर्मेन्द्र मौर्य (PCS अधिकारी, जिला सेवायोजन अधिकारी, बाराबंकी) के मार्गदर्शन में सेल्फ स्टडी द्वारा परीक्षा की तैयारी की और सफलता प्राप्त की।रुक्मिणी अपने पिता राजाराम मौर्य, बड़ी मम्मी भानमती देवी, बड़े पापा, तथा मार्गदर्शक धर्मेन्द्र मौर्य को अपनी सफलता का श्रेय देती हैं।
उनके भाइयों में शिवेन्द्र मौर्य, रवीन्द्रनाथ मौर्य, श्रवण मौर्य, और राम संजीवन मौर्य शामिल हैं, जबकि बड़ी बहन किरन मौर्या विवाहित हैं। रुक्मिणी मौर्या की सफलता न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे अंबेडकरनगर जिले और मौर्य समाज के लिए गौरव का विषय है।उन्होंने यह साबित किया है कि संघर्ष और सीमित साधनों के बावजूद अगर मन में दृढ़ इच्छाशक्ति हो, तो सफलता निश्चित है।
