उन्होंने बताया कि मानसिक शांति के लिए श्रीराम नाम का स्मरण करने से मन शांत रहता है और चिंताएं बाधाए दूर होती हैं। कलयुग में कर्म और भक्ति के अन्य साधन कठिन हो सकते हैं लेकिन श्रीराम नाम का स्मरण करना सरल और सुलभ है। यह एक ऐसा साधन है जो अच्छे-बुरे, क्रोध या आलस्य, किसी भी भाव से किया जाय तब भी कल्याणकारी होता है। श्रीराम कथा का श्रवण मात्र से जीवन में भक्ति आ जाती है और श्रीराम नाम का स्मरण कलयुग में भक्ति और कल्याण का सबसे सरल और प्रभावी मार्ग है।
इसी क्रम में जौनपुर से पधारे कथा वाचक डॉ अखिलेश चंद्र पाठक ने कथा प्रवचन के दौरान सबरी की नवधा भक्ति कथा प्रसंग का वर्णन करते हुए बताया कि शबरी की नवधा भक्ति में नव का अर्थ है नौ और 'विधा' का अर्थ है प्रकार। नवधा भक्ति का अर्थ है ईश्वर तक पहुँचने के लिए भक्ति के नौ मार्ग श्रीराम ने शबरी को बताये। पहली भक्ति: संतों का सत्संग। दूसरी भक्ति: श्रीराम की कथा प्रसंगों से प्रेम पूर्वक सुनना। तीसरी भक्ति: अभिमानरहित होकर गुरु के चरणों की सेवा वंदन करना। चौथी भक्ति: जीवन में छल कपट त्यागकर श्रीराम के गुण समूहों का गान करना। 5वीं भक्ति: श्रीराम के मंत्र का जाप और उनमें दृढ़ विश्वास रखना। छठीं भक्ति: इंद्रियों का शील और संत पुरुषों के आचरण में लगे रहना। सातवीं भक्ति: संपूर्ण जगत को समभाव से राममय देखना। आठवीं भक्ति: संतोष करना। नौवीं भक्ति: सरल और कपट रहित व्यवहार करना।
इस अवसर पर शिवासरे गिरी, सावन त्रिपाठी, हनुमान त्रिपाठी, गुड्डू उपाध्याय, प्रवेश उपाध्याय, त्रिजुगी त्रिपाठी, मुकेश श्रीवास्तव, अमित गिरी, मदन साहू, त्रिलोकीनाथ माली, राम आसरे साहू, त्रिलोकी नाथ त्रिपाठी सहित तमाम लोग मौजूद रहे। बता दें कि कथा प्रतिदिन सायं 6 बजे से रात्रि 10 बजे तक हो रही है। अन्त में आरती पूजन करने के पश्चात भक्तों में प्रसाद वितरण किया गया।