देवल, ब्यूरो चीफ,सोनभद्र। शारदीय नवरात्रि के प्रथम दिन सोमवार को जिले के प्रमुख देवी मंदिरों में श्रद्धालुओं ने विधि विधान से मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना किया। मां के इस स्वरूप के दर्शन-पूजन के लिए सुबह से ही मंदिरों में भक्तों का रेला लगा रहा। भक्तों ने कतारबद्ध होकर मां के श्री चरणों में शीश नवाया। घरों में भी कलश की स्थापना कर व्रति महिलाएं पूजन-अर्चन किया। उधर श्रद्धालुओं की सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस अधीक्षक अभिषेक वर्मा के निर्देशन में चप्पे-चप्पे पर पुलिस कर्मी डटे रहे। मंदिरों के आस-पास सादे वर्दी में भी महिला व पुरूष पुलिस चकमण करते दिखे।
नगर के अति प्राचीन शीतला मंदिर में दर्शन-पूजन के लिए पहुंचे श्रद्धालुओं का रेला दोपहर बाद तक लगा रहा। इसी तरह सातों बहिनीयां मंदिर, मां काली मंदिर समेत मारकुंडी घाटी स्थित दुर्गा मंदिर में भी भक्तों ने कतारबद्ध होकर माता रानी का विधि विधान से पूजन अर्चन किया। इस दौरान मंदिर के पुजारी व अन्य पंड़ितों के द्वारा विधि विधान से पूजन अर्चन कर मंत्रोच्चार के साथ शंखनाद किया गया। तत्पश्चात मां का कपाट खोला गया। इसी तरह शक्तिनगर के मां ज्वालामुखी देवी मंदिर शक्तिपीठ में भक्तों ने श्रद्धाभक्ती के साथ माता रानी का दर्शन-पूजन किया। बतादें कि रावर्ट्सगंज नगर से करीब 119 किमी दूरी पर स्थित शक्तिनगर में मां ज्वालामुखी का शक्तिपीठ मंदिर है। इस मंदिर को भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। इस मंदिर को 1000 वर्ष पुराना बताया जाता है। मान्यता है कि गढ़वाल गांव के राजा उदित नारायण सिंह ने मां इस मंदिर का निर्माण कराया था। कहा जाता है जब भगवान भोलेनाथ अग्निकुण्ड में जल रही सती को आकाश मार्ग से ले जा रहे थे, तभी यहां सती की जिह्वा गिरी थी, तब से यह क्षेत्र शक्तिपीठ के रूप में प्रचलित हो गया। राजा उदित नारायण सिंह के समय से ही इस क्षेत्र में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड, बिहार व छत्तीसगढ़ के अलावा अन्य प्रदेशों से भक्त दर्शन पूजन के लिए आते हैं। यहां आदिवासी मादर की थाप पर नृत्य, जिह्वा भेदन करते हैं। मान्यता है कि मंदिर में पूजन के लिए रखे गए जौ के पत्तों पर मां अपना आसन लगाती हैं।