आमिर, देवल ब्यूरो ,मड़ियाहूं, जौनपुर। स्थानीय कोतवाली क्षेत्र के कनावा गांव में स्थित प्रेमशंकर दूबे इण्टर कालेज के प्रधानाचार्य की करतूत से विद्यालय में शिक्षा ग्रहण कर रहीं कक्षा 8 की छात्राएं अपने साथ हुई घटना को लेकर दहशत में हैं। पुलिस ने काफी प्रयास के बाद मुकदमा तो दर्ज कर लिया मगर आरोपी की गिरफ्तारी न होने से पूरा परिवार दहशत के साये में जी रहा है।
बता दें कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जहां बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ का नारा बुलंद कर रहे हैं, वहीं उनके ही शासनकाल में स्थित मड़ियाहूं कोतवाली क्षेत्र के कनावा गांव में स्थित इण्टर कालेज के प्रधानाचार्य विनोद दूबे बेटियों को इज्जत तार—तार करने में लगे हुये हैं जो शासन के बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का नारा गर्त में पहुंचाने का काम कर रहे हैं।मंगलवार की सुबह प्रेमशंकर दुबे इण्टर कालेज में छेड़खानी से पीड़ित बेटियों के घर मीडिया ने दस्तक दिया तो परिजन प्रधानाचार्य विनोद दुबे की आदमी आने की आशंका से घरों में घुस गये और दहशत से दरवाजा बंद कर लिये। जब मीडियाकर्मियों ने अपना परिचय दिया और पास—पड़ोस के लोगों को बुलाकर घरों से निकालने की गुहार लगाई तो वह एक-एक करके बाहर निकले। दहशत पीड़ित बेटियों की आंखों में साफ झलक रही था। परिजनों के आंखों में प्रधानाचार्य विनोद दुबे के प्रति गुस्सा था। इसके बावजूद वह उनके आदमियों से पूरी तरह डरे हुये थे। मीडियाकर्मियों ने उनसे सवाल किया तो पहले तो पूरा परिवार बयान देने से ही इनकार कर दिया। जब बताया कि हम न पुलिस वाले हैं और न ही प्रधानाचार्य के आदमी हैं, बल्कि हम लोग आपकी आवाज बनने आये हैं। तब सभी लोग धीरे-धीरे खुलना शुरू किये और बेटियों ने जो कहानी बयां कीं, उससे हर मां-बाप का कलेजा फट जायेगा। पीड़ित बेटियों ने कहा कि जो एक शिक्षक रूपी रावण को नहीं करना चाहिए था, वह सब प्रधानाचार्य ने करने की कोशिश किया। बेटियों ने बताया कि प्रिंसिपल ने कमरे से लाइट बुझा दिया और सीसीटीवी कैमरा बंद कर दिया। विरोध करने के बावजूद भी प्रधानाचार्य शरीर के सब अंग छूने लगे। किसी तरह वहां से भाग करके सीधे अपने क्लास रूम में पहुंची छात्राओं ने बताया कि सहेलियों सहित मड़ियाहूं पढ़ने जा रही बहन को आपबीती बतायी। आरोप के अनुसार जब बहन ने स्कूल में जाकर घटना के बाबत पूछा तो प्रधानाचार्य ने कहा कि किसी के सामने मुंह मत खोलना। हम ऐसा कर ही नहीं सकते। शिकायत पाकर बेटियों की मां भी स्कूल पहुंची तो उन्हें भी डराया—धमकाया गया।