चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने मध्य प्रदेश में आर्मी वॉर कॉलेज में आयोजित प्रथम त्रि-सेवा संगोष्ठी, रण संवाद को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत एक शांतिप्रिय राष्ट्र है, लेकिन वह शांतिवादी नहीं हो सकता।
इस कार्यक्रम में अपना संबोधन देते हुए सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने युद्ध की तकनीकों और रणनीति के विश्लेषण पर अकादमिक गतिविधियों का भी आह्वान किया। इसके साथ ही उन्होंन पाकिस्तान को भी सीधा संदेश दे दिया।
'सभी क्षेत्रों में आत्मनिर्भर होने की आवश्यता'
सीडीएस अनिल चौहान ने कहा कि एक विकसित भारत के रूप में, हमें न केवल तकनीक में, बल्कि विचारों और व्यवहार में भी 'सशस्त्र', 'सुरक्षित' और 'आत्मनिर्भर' होने की आवश्यकता है। इसलिए, हमारे समाज के सभी वर्गों में सैद्धांतिक और वैचारिक पहलुओं, यानी युद्ध कैसे लड़ा जाता है, इसकी अकादमिक खोज और व्यावहारिक तथा वास्तविक युद्ध तकनीकों और रणनीतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है
इसके अलावा, ऑपरेशन सिंदूर के संदर्भ में उन्होंने कहा कि भारत एक शांतिप्रिय राष्ट्र है, लेकिन वह शांतिवादी नहीं हो सकता। सीडीएस ने कहा कि भारत हमेशा शांति के पक्ष में रहा है। हम एक शांतिप्रिय राष्ट्र हैं, लेकिन गलतफहमी में न रहें, हम शांतिवादी नहीं हो सकते। मेरा मानना है कि शक्ति के बिना शांति एक काल्पनिक कल्पना है। मैं एक लैटिन उद्धरण कहना चाहूंगा जिसका अनुवाद है, 'यदि आप शांति चाहते हैं, तो युद्ध के लिए तैयार रहें'।
सीडीएस ने बताया युद्ध जीतने के लिए जरूरी क्या है?
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीडीएस ने कहा कि हमने हमेशा शस्त्र और शास्त्र की बात एक ही सांस में की है। ये दोनों एक ही तलवार के दो सिरे हैं। हम जानते हैं कि जीत के लिए सैन्य रणनीति और योद्धाओं का संयोजन जरूरी है और इसका सबसे बड़ा और बेहतरीन उदाहरण महाभारत और गीता हैं।
उन्होंने कहा कि हम जानते हैं कि अर्जुन सबसे महान योद्धा थे, फिर भी उन्हें विजय की ओर ले जाने के लिए कृष्ण की आवश्यकता थी। इसी तरह, हमारे पास चंद्रगुप्त थे जिन्हें चाणक्य के ज्ञान की आवश्यकता थी। जनरल चौहान ने आगे कहा, "भारत गौतम बुद्ध, महावीर जैन और महात्मा गांधी की भूमि रहा है, जो सभी अहिंसा के पक्षधर थे।