देवल, ब्यूरो चीफ,सोनभद्र। जिले भर में सुहागिन महिलाओं ने हरतालिका तीज का पर्व धूमधाम से मनाया। इसे तीजा के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर रखा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्य की थी, जिससे प्रसन्न होकर महादेव ने पार्वती को पत्नी रूप में स्वीकार किया। तभी से यह व्रत विशेष महत्व रखता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं निर्जला उपवास रखती हैं और पति की लंभी आयु की कामना करते हुए शिव-पार्वती की पूजा करती हैं। आचार्य पंडित सौरभ कुमार भारद्वाज ने बताया कि हरतालिका तीज पर भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा की जाती है। हरतालिका तीज व्रत के पारण से पहले पानी की एक बूंद भी ग्रहण करना वर्जित है। यह व्रत निर्जला रखा जाता है। व्रत के दिन सुबह-सवेरे स्नान करने के बाद उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये मंत्र का उच्चारण करते हुए व्रत का संकल्प लिया जाता है। अगर व्रत के दौरान सूतक लग जाए तो व्रत रख सकते हैं और पूजा रात में कर सकते हैं। इस दिन महिलाएं 24 घंटे से भी अधिक समय तक निर्जला व्रत करती हैं। रात के समय महिलाएं जागरण करती हैं और अगले दिन सुबह विधिवत्त पूजा-पाठ करने के बाद ही व्रत का पारण करती हैं। हरतालिका तीज व्रत को सुहागिनों के अलावा कुंवारी कन्याएं भी रखती हैं।