देवल, ब्यूरो चीफ,सोनभद्र। जिले में वृहस्पतिवार को गोस्वामी तुलसीदास महाराज की हर्षोल्लास के साथ जयंती मनायी गई। नगर के रामलीला मैदान सभागार में राष्ट्रीय संचेतना समिति व गुप्त काशी विकास परिषद के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में मौजूद लोगों ने महाराज के चित्र पर पुष्प अर्पित किया। स्वागत भाषण देते हुए काशी कथा न्यास के संस्थापक डा अवधेश दीक्षित ने कहा कि गुप्तकाशी धरा से तुलसी जयंती की अविरल गंगा प्रवाहित होने जा रही है। भारत अध्ययन केंद्र, भोजपुरी अध्ययन केंद्र, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, गुप्तकाशी विकास परिषद और राष्ट्रीय संचेतना समिति के लोग संयुक्त रूप से पंच परिवर्तन की व्यवस्था के लिए योजना एवं रूपरेखा तैयार कर रहे है।
मुख्य अतिथि प्रो प्रभाकर सिंह ने कहा कि अहंकार मुक्त जीवन ही वास्तविक सुख की कुंजी है। पूज्य तुलसीदास ने अपने समसामयिक मुगल शासन की कुव्यवस्था का चित्रण अपनी रचनाओं में किया है। विशेषकर उनकी रचना कवितावली में मुगल शासन व्यवस्था में किसानों की त्रासद स्थिति और लोगों के जीविका विहीन होकर दर-दर भटकने का चित्रण मिलता है। अकाल, भुखमरी, महामारी और बेरोजगारी जैसे वातावरण से जनता जूझ रही थी और मुगलिया शासकों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा था। विशिष्ट अतिथि अभिजीत कुमार निदेशक इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र ने कहा कि तुलसीदास ने अपनी रचनाओं में समाज के हर वर्ग के कल्याण की बात की है और इसे ही अपने काव्य का उद्देश्य माना है। तुलसीदास मानते थे कि रामकथा लोगों का कल्याण करने वाली और कलियुग के पापों को हरने वाली है। डा अमित कुमार पांडेय विजिटिंग फेलो, भारत अध्ययन केंद्र काशी हिंदू विश्वविद्यालय ने कहा कि तुलसीदास ने रामचरितमानस में रामकथा को मंगल करनि कलि मल हरनि कहकर इसे कल्याणकारी और पापों का नाश करने वाला बताया है। समन्वय की भावना से तुलसीदास ने अपने साहित्य में विभिन्न मतों और विचारधाराओं के बीच समन्वय स्थापित करने की कोशिश की है। उन्होंने राम को शिव का उपासक और शिव को राम का उपासक बताया है, जिससे ज्ञानमार्गी और भक्तिमार्गी लोगों में एकता स्थापित हो सके। इस मौके पर गुप्त काशी विकास परिषद के अध्यक्ष पंडित आलोक चतुर्वेदी, पंडित पारसनाथ मिश्र, वरिष्ठ साहित्यकार, सत्यपाल जैन, जगदीश पंथी, सिपाही पांडेय, नागेंद्र पाठक, सत्येंद्र तिवारी, दयाशंकर पांडेय, अनूप कुमार मिश्रा, आशुतोष पांडेय, विनोद चौबे, भईया लाल, कृष्ण मुरारी गुप्ता, ललितेश मिश्रा, सतीश सिंह, किशोरी लाल, विनय सिंह, ओमप्रकाश मिश्रा, बलराम सोनी आदि मौजूद रहे।