प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय तमिलानाडु की यात्रा पर हैं। राज्य में चोल साम्राज्य के महान शासक राजेंद्र चोल प्रथम की जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम में पीएम मोदी ने हिस्सा लिया। यह कार्यक्रम तमिलनाडु के अरियालुर जिले में आयोजित किया गया था।
इस दौरान पीएम मोदी ने गंगैकोंडा चोलपुरम मंदिर का दौरा किया, यहां पर उन्होंने पूजा अर्चना भी की। इसके एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि इस ऐतिहासिक मंदिर में, मैंने देश भर के 140 करोड़ लोगों की भलाई और देश की निरंतर प्रगति के लिए प्रार्थना की।
'जब मैं 'ओम नमः शिवाय' सुनता हूं, तो मेरे रोंगटे खड़े हो जाते'
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि चोल राजाओं ने श्रीलंका, मालदीव और दक्षिण पूर्व एशिया जैसे क्षेत्रों के साथ अपने राजनयिक और व्यापारिक संबंधों को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाया। यह महज संयोग है कि मैं कल मालदीव से लौटा हूं और आज मुझे इस कार्यक्रम में भाग लेने का अवसर प्राप्त होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।
उन्होंने आगे कहा कि यह राजराजा की आस्था की भूमि है, और इलैयाराजा ने इस आस्था की भूमि पर हम सभी को शिव भक्ति में लीन कर दिया, मैं काशी से सांसद हूं। और जब मैं 'ओम नमः शिवाय' सुनता हूं, तो मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
'कार्यक्रम में भाग लेकर खुशी हो रही'
उन्होंने आगे कहा कि चोल राजाओं ने श्रीलंका, मालदीव और दक्षिण-पूर्व एशिया जैसे क्षेत्रों के साथ अपने राजनयिक और व्यापारिक संबंधों को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाया। दिलचस्प बात यह है कि मैं कल ही मालदीव से लौटा हूं, और आज मुझे इस कार्यक्रम में भाग लेने का अवसर पाकर बहुत खुशी हो रही है।
आगे कहा कि चोल साम्राज्य का इतिहास और विरासत भारत की अपार क्षमता का प्रमाण है और देश की प्रगति के दृष्टिकोण के लिए प्रेरणा का स्रोत है। यह विरासत एक विकसित भारत के निर्माण की हमारी यात्रा को गति प्रदान करती है। इसी प्रेरणा को ध्यान में रखते हुए, मैं महान राजेंद्र चोल को अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।
'चोल साम्राज्य भारतीय इतिहास के स्वर्णिम युगों में से एक'
इतिहासकारों का मानना है कि चोल साम्राज्य भारतीय इतिहास के स्वर्णिम युगों में से एक है। यह काल अपनी उल्लेखनीय सैन्य शक्ति और सांस्कृतिक समृद्धि के लिए जाना जाता है। अक्सर लोकतंत्र का उद्गम स्थल माने जाने वाले चोल साम्राज्य ने भारतीय संस्कृति के पोषण और संवर्धन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
राजेंद्र चोल ने उत्तरी क्षेत्रों से पवित्र गंगा जल लाकर दक्षिण में प्रतिष्ठित किया। इस पवित्र जल को चोल गंगा झील में अर्पित किया गया, जिसे आज पोन्नेरी झील के नाम से जाना जाता है।
भव्य गंगईकोंडा चोलपुरम मंदिर कराया निर्माण'
उन्होंने कहा कि राजेंद्र चोल ने भव्य गंगईकोंडा चोलपुरम मंदिर का निर्माण कराया, जो आज भी दुनिया भर में प्रशंसित एक वास्तुशिल्प चमत्कार के रूप में खड़ा है। चोल साम्राज्य की विरासत ने पवित्र कावेरी नदी की भूमि पर माँ गंगा उत्सव के उत्सव को भी जन्म दिया। चोल सम्राटों ने भारत को सांस्कृतिक एकता के सूत्र में पिरोया था।
पीएम मोदी ने कहा कि आज हमारी सरकार चोल युग के उसी दृष्टिकोण को आगे बढ़ा रही है। काशी-तमिल संगमम और सौराष्ट्र-तमिल संगमम जैसी पहलों के माध्यम से, हम एकता के इन सदियों पुराने बंधनों को और मजबूत कर रहे हैं।
पीएम मोदी ने स्मारक सिक्का किया जारी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रख्यात चोल सम्राट राजेंद्र चोल प्रथम की जयंती के उपलक्ष्य पर आयोजित कार्यक्रम में चोल राजा के सम्मान में एक स्मारक सिक्का जारी किया। इसमें भारतीय इतिहास, वास्तुकला और समुद्री विरासत में उनके योगदान का जश्न मनाया गया।