देवल, ब्यूरो चीफ,मिर्जापुर।चुनार तहसील के खाद्य आपूर्ति विभाग के कार्यालय में चक्कर काटने के बाद भी लोगों के कार्य नहीं हो पा रहे हैं। दो माह से विभाग की चकर काट रहे है। पात्रों के राशन कार्ड ऑनलाइन नहीं होने के चलते डिपो धारक बहुत से पात्रों को राशन ही नहीं दे रहे हैं। विभाग में कोई नाम कटवाने, कोई नाम चढ़वाने तो कोई राशन कार्ड ऑनलाइन करने के लिए लगातार चक्कर लगा रहे हैं।
कोटेदार से लेकर दलालों सहित विभाग का लगाना पड़ रहा चकर
जिसके चलते लोग कोटेदार से लेकर दलालों सहित विभाग के चक्कर काटने को मजबूर है। मंगलवार को भी एक ऐसा ही मामला उस समय प्रकाश में आया जब चुनार तहसील क्षेत्र के रैपुरिया,सरैया सिकंदरपुर, भरेठा , नियामतपुर खुर्द, नरायनपुर से लोग कार्ड बनवाने के लिए खाद्य पूर्ति विभाग पहुंचा थे। उसने बताया कि कई बार विभाग को अपना डॉकोमेट देने के साथ ही कोटेदार से लेकर विभाग के चक्कर काट चुका है इसके बाद भी उसका राशन कार्ड नहीं बन पा रहा है जिससे मिलने वाले सरकारी राशन का लाभ उसे नहीं मिल पा रहा।
सप्लाई इंस्पेक्टर का कहना है कि कार्यालय में ग्राम प्रधान व कोटेदार का होगा काम
वहीं सप्लाई इंस्पेक्टर सुनील कुमार सिंह का कहना है कि विभाग के कार्यालय में केवल ग्राम प्रधान या कोटेदार का ही काम होगा। राशन कार्ड उपभोक्ता अपना फॉर्म जन सेवा केंद्र से ऑनलाइन करवाएं। वहीं सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सप्लाई इंस्पेक्टर हर कोटेदार से 50- 100 के बीच महीने का शुल्क भी लेते है। वहीं ग्रामीणों का कहना है कि राशन कार्ड में नाम जुड़वाने के नाम पर कोटेदार एक यूनिट का 50रु. का शुल्क लेते है।
खाद्य विभाग के नियमों को पैसों के तराजू पर तौला जा रहा
ऐसे में यह विभाग भ्रष्टाचार की वो 'खास नीति' बन गई है, जिसमें नियमों को पैसों के तराजू में तौला जाता है। क्या प्रशासन इस खुली लूट पर कोई जवाब देगा/ या तो जवाब आएगा अभी जांच करने पर ही खुलासा होगा या जांच चल रही है जांच पूरी होने पर जवाब देंग या फिर हमेशा की तरह एक 'जांच कमेटी' बनाकर मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा?
अब यह सवाल उठ रहा है कि जनता की आंखों के सामने यह गोरखधंधा चल रहा है, तो फिर जिम्मेदार अधिकारी क्यों चुप हैं? क्या मिर्जापुर प्रशासन की आंखों पर भ्रष्टाचार की पट्टी बंधी हुई है, या फिर यह पूरा सिस्टम ही इस धंधे का हिस्सेदार बन चुका है।