अमित, ब्यूरो चीफ, देवल । मिर्जापुर।अदलहाट थाना क्षेत्र छोटा मिर्जापुर में श्रीमद् भागवत कथा महापुराण का किया गया आयोजन झूम उठा छोटा मिर्जापुर,
सोमवार 17 मार्च 2025 से प्रारंभ हुआ 26 मार्च 2025 को विराम एवं 27 मार्च 2025 को विशाल भंडारा का आयोजन किया गया हर साल की भांति इस साल भी यह शुभ श्रीमद् भागवत कथा महापुराण का आयोजन किया गया जिसमें सैकड़ो की संख्या में कलश यात्रा धूम धड़ाका घोड़ा हाथी के साथ कलश यात्रा की भीड़ आगे बढ़ती गई वैसे-वैसे ही भीड़ की संख्या भी बढ़ती गई भारी संख्या में लोग शामिल हुए और धूमधाम से निकली गयी कलश यात्रा,
छोटा मिर्जापुर में"मुख्य यजमान,डॉ.जैदीप सिंह गीता सिंह गीतांजली हॉस्पिटल, कथा वाचक डॉ.पुण्डरीक शास्त्री, स्वागतकांक्षी डॉक्टर सूर्य प्रकाश पांडे, विद्या भूषण दुबे, गंगाराम साहनी, बब्बू सिंह, जोगी सिंह, शिवेंद्र सिंह, संजय सोनकर पूर्व प्रमुख, राजू साहनी {विनीत:} गीता सिंह, डॉक्टर जैदीप सिंह, प्रबंधक गीतांजली हॉस्पिटल एवं पप्रांत कमेटी सदस्य विश्व हिंदू परिषद काशी प्रांत की तरफ से श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन कराया जा रहा है धार्मिक नगरी में यह आयोजन 18मार्च से 26मार्च तक तक चलेगा, विशाल भंडारा 27 मार्च दोपहर 12 बजे प्रसाद वितरण यह धार्मिक उत्सव स्वयं को जानने और मन के सारे संतापों को दूर करने का एक शुभअवसर है। तो माँ विंध्यवासिनी की नगरी छोटा मिर्ज़ापुर में जाकर श्रीमद भागवत कथा महापुराण का लाभ प्राप्त करें।
श्रीमद् भागवत कथा प्रारंभ मंगलवार 18 मार्च 2025 शाम 5:00 बजे से रात्रि 9:00 बजे तक, भागवत कथा विराम बुधवार 26 मार्च 2025 रात्रि 10:00 बजे तक, विशाल भंडारा गुरुवार 27 मार्च 2025 दोपहर 12:00 से शुरू हुआ।
भागवतम् पुराण तथा भागवत कथा
सनातन धर्म के 18 पवित्र पुराण हैं, जिनमें एक भागवत् पुराण भी है। इसे श्रीमद् भागवत या केवल भागवतम् भी कहते हैं। यह जगत के पालक श्रीविष्णुजी के धरती पर लिए गए 24 अवतारों के साथ उस दौरान उनके जीवन की कथा का भावपूर्ण वर्णन है। 12 खंडों के इस ग्रंथ में 335 अध्याय तथा 18 हजार श्लोक हैं। इसके 10वें अध्याय में श्रीकृष्ण का जीवन सार कुछ इस प्रकार वर्णित है यह समस्त प्राणियों के लिए सांसारिक जीवन जीते हुए ज्ञान तथा मुक्ति का मार्ग दिखाता है।
श्रीमद् भागवत कथा सुनना और सुनाना दोनों ही मुक्तिदायिनी है तथा आत्मा को मुक्ति का मार्ग दिखाती है। भागवत पुराण को मुक्ति ग्रंथ कहा गया है, इसलिए अपने पितरों की शांति के लिए इसे हर किसी को आयोजित कराना चाहिए। इसके अलावा रोग-शोक, पारिवारिक अशांति दूर करने, आर्थिक समृद्धि तथा खुशहाली के लिए इसका आयोजन किया जाता है।
श्रीमद् भागवत कथा जीवन-चक्र से जुड़े प्राणियों को उनकी वास्तविक पहचान करता है, आत्मा को अपने स्वयं की अनुभूति से जोड़ता हैं तथा सांसारिक दुख, लोभ-मोह- क्षुधा जैसी तमाम प्रकार की भावनाओं के बंधन से मुक्त करते हुए नश्वर ईश्वर तथा उसी का एक अंश आत्मा से साक्षात्कार कराता है।