शुक्रवार को व्हाईट हाउस में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के बीच हुई तीखी बहस के बाद जो स्थिति बनी है उसे संभालने में यूरोपीय देशों की तरफ से सक्रियता बढ़ गई है।
अमेरिका ने जहां इस मामले में गेंद पूरी तरह से यूक्रेन के पाले में डाल दी है वहां राष्ट्रपति जेलेंस्की अभी लंदन में हैं। ब्रिटेन के पीएम किएर स्टार्मर के साथ उनकी बेहद गर्मजोशी भरे माहौल में मुलाकात हुई है।
यूरोपीय देशों के नेता पहुंचे लंदन
जेलेंस्की से मुलाकात करने और आगे की रणनीति बनाने के लिए यूरोपीय देशों के नेता लंदन पहुंच रहे हैं। अभी इस प्रकरण पर यूरोपीय देशों की अगुवाई ब्रिटेन कर रहा है। पीएम स्टार्मर ने कहा है कि यूक्रेन, ब्रिटेन व फ्रांस नये शांति समझौते का प्रारूप तैयार कर रहे हैं जिसे अमेरिका को दिया जाएगा।
बहरहाल, इस पूरे प्रकरण ने रूस-यूक्रेन विवाद पर भारत के आधिकारिक रवैये को सही साबित किया है कि इसे वार्तालाप व कूटनीति से ही दूर किया जाना चाहिए। आज वाशिंगटन से लेकर लंदन तक कूटनीतिक सक्रियता बढ़ी हुई है।
रविवार को दोपहर फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों भी लंदन पहुंच गये हैं। इसके अलावा जर्मनी, डेनमार्क, नीदरलैंड, नार्वे, पोलैंड, स्पेन, कनाडा, फिनलैंड, स्वीडेन, चेक, रोमानिया, तुर्की के विदेश मंत्री, नाटो के महासचिव, यूरोपीय आयोग की प्रेसिडेंट उर्सुला लेयेन भी वहां पहुंच रही है।
यूरोपीय देशों की इस बैठक में क्या होगा?
बताया जा रहा है कि यूरोपीय देशों की इस बैठक में रूस और यूक्रेन के बीच होने वाले शांति समझौते के प्रस्ताव को पारित किया जाएगा। इस प्रस्ताव में रूस की तरफ से इस बात की गांरटी मांगी जाएगी कि वह भविष्य में यूक्रेन पर कोई सैन्य हमला नहीं करेगा। रूस की तरफ से हमला होने की स्थिति में यूरोपीय देशों को भी जवाबी कार्रवाई करने का अधिकार होगा। इसके साथ ही यूरोपीय देशों की तरफ से यूक्रेन की सैन्य ताकत को बढ़ाने को लेकर भी नई घोषणा किये जाने की संभावना है। यूरोपीय देशों के नेताओं की तरफ से ऐसे संकेत दिए गए हैं।
ब्रिटेन के पीएम से मिले जेलेंस्की
पीएम स्टार्मर ने राष्ट्रपति जेलेंस्की से शनिवार को मुलाकात से पहले जो बयान दिया था और रविवार को लंदन में यूरोपीय नेताओं से बैठक से पहले जो बयान दिया है वह उनके रूख में आ रही नरमी को भी बताया है।
बीबीसी को दिए गए एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा है कि उन्हें राष्ट्रपति ट्रंप पर भरोसा है कि वह रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करना और वहां स्थाई शांति स्थापित करना चाहते हैं। उन्होंने अमेरिका के समर्थन को बहुत जरूरी बताते हुए कहा है कि इसके बगैर यूक्रेन में स्थाई शांति स्थापित नहीं हो सकती।
शांति योजना के बारे में ब्रिटेन कर रहा फ्रांस से बात
शांति योजना के बारे में ब्रिटेन अभी फ्रांस के साथ वार्ता कर रहा है, इसे बारे में आगे अमेरिका से बात की जाएगी। इसी तरह से लंदन पहुंचने से पहले यूरोपीय आयोग की राष्ट्रपति उर्सुला लेयेन ने यूक्रेन को पूरा समर्थन देने की बात दोहराते हुए कहा है कि ताकत से ही शांति की राह निकलेगी। कमजोरी से और ज्यादा युद्ध होगा। उन्होंने यह भी दोहराया कि यूक्रेन में स्थाई शांति के लिए यूरोपीय संघ की तरफ से मदद दी जाती रहेगी।
फ्रांस के राष्ट्रपति भी पहुंचे लंदन
लंदन रवाना होने से पहले फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने स्थिर शांति की बात की है लेकिन उन्होंने रूस के आक्रामक व्यवहार में कमी आने को लेकर अपनी आशंका भी जताई है। एक मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा है कि रूस को अगर अभी नहीं रोका गया तो वह यूक्रेन के पश्चिमी हिस्से की तरफ बढ़ेगा और दूसरे पड़ोसी देशों जैसे मालदोवा, रोमानिया या अन्य देशों पर भी हमला कर सकता है।
भारत की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई
उधर, इस पूरे प्रकरण पर भारत की तरफ से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि इस महीने के मध्य में यूक्रेन-रूस विवाद नई दिल्ली में एक गंभीर चर्चा का केंद्र बनेगा। विदेश मंत्रालय की तरफ से आयोजित होने वाले रायसीना डायलॉग -2025 कार्यक्रम में रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के अलावा फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी व कई यूरोपीय देशों की सरकारों के वरिष्ठ मंत्रियों के हिस्सा लेने की संभावना है।
कूटनीतिक जानकार मान रहे हैं कि वर्ष 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत से ही तटस्थ रहने की भारतीय कूटनीति पूरी तरह से सटीक साबित हो रही है।
रूस से अलग होने का भारत पर दबाव बनाने वाला देश अमेरिका अब रूस के साथ खरा है। भारत ने हमेशा से कहा है कि यूक्रेन और रूस के बीच के तनाव को कूटनीति और वार्ता से ही खत्म किया जा सकता है। अब जबकि शांति स्थापित करने के लिए वाशिंगटन से लेकर लंदन तक कूटनीतिक गतिविधियां चल रहीं हैं।