महाराज जनक के गुरु ऋषि अष्टावक्र की तपोभूमि पर स्थित है शिवलिंग -रामाज्ञा यादव
Author -
Dainik Deval
फ़रवरी 25, 2025
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आमिर, देवल ब्यूरो ।जलालपुर, जौनपुर। आदि गंगा गोमती और सई नदी संगम स्थल के तट पर स्थित रामेश्वर धाम शिव मंदिर शिव भक्तों के आस्था का प्रमुख केंद्र है। यह शिव मंदिर राजेपुर ग्राम में स्थित है जिसे त्रिमुहानी राजेपुर के नाम से भी जाना जाता है। मिथिला नरेश महाराज जनक के गुरु ऋषि अष्टावक्र की इस तपोभूमि पर स्थित शिवलिंग स्वयं-भू है। ऐसी मान्यता है कि यह शिवलिंग किसी के द्वारा स्थापित न होकर बल्कि जमीन के अंदर से खुदाई के दौरान निकला था। मंदिर का गर्भ गृह अभी भी लगभग 5 फीट गहराई में अवस्थित है। इसका वर्णन रामचरितमानस में भी मिलता है कि भगवान श्रीराम के वन गमन पर उनके छोटे भाई भरत जी उन्हें मनाने चित्रकूट गए हुए थे तो भगवान श्री राम उन्हें अपना खड़ाऊ देकर विदा किया था। वही खड़ाऊ लेकर अयोध्या वापस इसी रास्ते से लौट रहे थे तो उन्होंने यहां रुक कर भगवान शिव का पूजन अर्चन किया था जो रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखे श्लोक में वर्णित है। सई उतरि गोमती नहाए, चौथे दिवस अवधपुर आए...। जो इस स्थान की पौराणिक महानता को उजागर करता है। आध्यात्मिक एवं प्राकृतिक छटाओं से परिपूर्ण सई नदी आदि गंगा गोमती की पावन संगम पर स्थित राजेपुर रामेश्वर धाम पर वैसे तो लगातार शिव भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है लेकिन श्रावण मास में तो शिव भक्तों का जनसैलाब ही उमड़ पड़ता है। कार्तिक पूर्णिमा पर बहुत बड़ा ऐतिहासिक मेला लगता है जो संगम के तीनों पार में लगता है। जिसे त्रिमुहानी का मेला भी कहा जाता है।