देवल संवाददाता, आजमगढ़। एक तरफ जहां सरकार द्वारा बार-बार महिम चलाई जाती है कि आम जनता किस प्रकार से साइबर ठगी से खुद को बचाएं एवं सतर्क रहें, दूसरी तरफ ठगी करने वाले पुलिस का ही नाम इस्तेमाल कर ठगी की घटना को अंजाम दे रहे हैं। ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया जब टूर एवं ट्रेवल्स की कंपनी चलाने वाले प्रशांत त्रिपाठी को चार से पांच रोज पहले एक व्यक्ति द्वारा फोन किया गया एवं बताया गया कि वह आजमगढ़ कोतवाली से राजेश कुमार बात कर रहा है, उसे तत्काल प्रभाव से अपने एक सिपाही को आगरा भेजना है जिसके लिए उसे तुरंत एक गाड़ी चाहिए। प्रशांत द्वारा बताया गया कि कोतवाली और थानों से अक्सर ऐसे फोन आते हैं जब किसी को भी अगर कहीं जाना होता है तो वह अपनी टूर एवं ट्रेवल्स में चलने वाली गाड़ी को ड्राइवर के साथ भेज देते हैं। इस बार भी उन्हें ऐसा ही लगा और उन्होंने अपनी एक गाड़ी ड्राइवर के साथ कोतवाली के बाहर भेज दी। ठगी करने वाले इतने शातिर थे कि उन्होंने जिस नंबर से कॉल किया था उस पर एक फोटो लगाई थी जो कि पुलिस यूनिफॉर्म में बैठी एक व्यक्ति की थी जिसके कंधे पर दो सितारे भी लगे हुए थे। इतने साक्ष्य शायद काफी थे प्रशांत को यह यकीन दिलाने के लिए की यह फोन आजमगढ़ कोतवाली से ही आया है। कोतवाली के बाहर गाड़ी भेजने के बाद ठगी करने वाले ने कहा कि उसे प्रशासनिक किसी काम से कहीं बाहर जाना पड़ा है और जल्दी-जल्दी में वह उसे सिपाही को कुछ पैसा देना भूल गया है। ठगी करने वाले द्वारा प्रशांत से कहा गया कि क्या वह उसके सिपाही को ₹2000 ऑनलाइन भेज सकता है, बाद में इस व्यक्ति ने वादा किया कि वह जो पैसा उसे आजमगढ़ से आगरा आने जाने के लिए देना है उसमें ₹2000 और जोड़कर उसे भेज देगा। यह सुनकर प्रशांत ने भी एक क्यूआर कोड पर ₹2000 भेज दिए। इसके बाद ठगी करने वाले द्वारा बोला गया कि उसके सिपाही को थोड़े कुछ और पैसे की जरूरत है, क्या वह उसे कुछ पैसे और भेज सकता है, यह सुनने के बाद शायद प्रशांत को थोड़ा शक हुआ और उसने उस ठगी करने वाले से कहा कि आप अपने सिपाही को कोतवाली के बाहर गेट पर भेज दें जहां पर उसका आदमी गाड़ी लेकर खड़ा है वह उसे कुछ पैसे कैश में दे देगा। इसके बाद फिर क्या, ठगी करने वाले द्वारा फोन उठाना ही बंद कर दिया गया। प्रशांत को शक तो ही गया था, इसके बाद उन्होंने अपने ड्राइवर से कहा अंदर कोतवाली में जाकर राजेश कुमार के बारे में पता करने को, और फिर क्या वही हुआ जिसकी सबको उम्मीद थी, अंदर जाने पर पता चला कि यहां आजमगढ़ कोतवाली में तो राजेश कुमार नाम का कोई पुलिस कर्मी तो है ही नहीं, तब प्रशांत को यह विश्वास हो गया कि उसके साथ किसी ने साइबर ठगी कर दी है। प्रशांत द्वारा थाने पर सभी जरूरी साक्षों के साथ तहरीर दी गई एवं पूरा घटनाक्रम बताया गया इसके बाद पुलिस ने उन्हें आश्वासन दिलाया है कि वह प्रयास करेंगे उसे व्यक्ति तक जल्द से जल्द पहुंचाने की।