कृष्ण, देवल ब्यूरो, अंबेडकर नगर ।
सोमवार को विवेकानन्द शिशु कुञ्ज वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय टाउनशिप टाण्डा में विश्व के महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजम जी की जयन्ती मनाई गई। भैया बहनों को सम्बोधित करते हुए विद्यालय के प्रधानाचार्य वीरेन्द्र वर्मा ने बताया कि श्रीनिवास रामानुजम जी एक प्रसिद्ध भारतीय गणितज्ञ थे। उनका जन्म 22 दिसंबर 1887 को तमिलनाडु के एक छोटे से ईरोड गाँव में हुआ था। उन्हें उनके असाधारण गणितीय कौशल और संख्या सिद्धान्त में उनके योगदान के लिए जाना जाता है।
श्रीनिवास रामानुजम ने अपने जीवनकाल में लगभग 3,900 गणितीय परिणामों की खोज की, जिनमें से कई आज भी महत्वपूर्ण हैं। उन्हें उनके काम के लिए कई पुरस्कार और सम्मान मिले, जिनमें फेलो ऑफ द रॉयल सोसाइटी (FRS) की उपाधि भी शामिल है।
श्रीनिवास रामानुजम का निधन मात्र 32 वर्ष पाँच माह की आयु में 26 अप्रैल 1920 को हुआ, लेकिन उनकी गणितीय विरासत आज भी जीवित है और उन्हें गणित के क्षेत्र में एक महान व्यक्तित्व के रूप में याद किया जाता है।
पम्परागत शिक्षा में आशातीत सफलता न मिलने पर मद्रास पोर्ट पर खाली समय में गणित को तन्मयता से हल करना और इंडियन मैथमेटिकल सोसाइटी के जर्नल में अपने शोधपत्र प्रकाशित करवाना यही उनका पसन्दीदा काम था। फिर समय आया 1913, जब उन्होंने जीएस हार्डी को एक पत्र लिखा, जिसमे 120 प्रमेय संलग्न थे; एक ऐसा पत्र जिसे देखकर हार्डी कल्पना के लोक में विचरण करने को मजबूर हो गये और कहने लगे – यदि यह प्रमेय सही नहीं हुए तो लोगों का गणित से विश्वास उठ जायेगा। उस समय के महान गणितज्ञों में से एक हार्डी ने रामानुजन को इंग्लैंड बुलाया और उनके साथ मिलकर गणित को एक नई ऊंचाई देने और रामानुजन को एफआरएस की डिग्री दिलाने तक का सारा काम करके एक सच्चे गुरु होने का परिचय दिया।
इंग्लैंड में रामानुजन अक्सर बीमार रहते। एक तो वहां ठंड का मौसम, दूसरा रामानुजन का स्वयं खाना बनाकर खाना (प्रथम विश्वयुद्ध की वजह से इंग्लैंड में साग-सब्जी की भरी किल्लत थी) और रोज नहाना। बीमार अवस्था में जब हार्डी रामानुजन से मिलने गये तो रामानुजन ने पूछा किस वाहन से आए हो प्रो हार्डी ने उत्तर दिया बिल्कुल बेकार टैक्सी मिली उसका नम्बर भी बहुत बेकार था 1729, इस पर रामानुजन ने प्रत्युतपन्न मति से उत्तर दिया नहीं ये तो बड़ी ही चमत्कारी संख्या है जो दो अंक युग्म के घन का योग है।
1729 = 12 का घन + 1 का घन = 10 का घन+ 9 का घन है। इस संख्या को आज रामानुजन-हार्डी संख्या कहते हैं। रामानुजन ने इंग्लैंड में रहते हुए प्रो. हार्डी के साथ उन्होंने 50 से अधिक शोध-पत्र लिखे पर भारत आने के एक वर्ष के अन्दर ही उनके जीवन त्याग कर परलोक गमन से देश से गणित का एक कोहिनूर छिन गया।
इस अवसर पर वरिष्ठ आचार्य श्री मनमोहन जी, राम आशीष जी, हरिदेव जी आदि सभी आचार्य, आचार्या बहने एवं सभी भैया बहन उपस्थित रहे।