देवल संवाददाता, गोरखपुर ।रुस्तमपुर इलाके में बिना लाइसेंस के संचालित हो रही बेकरी और रेस्टोरेंट में मिलावट का खेल पकड़ा गया है। यहां बासी समोसा को ताजा और क्रिस्पी बनाने के लिए उसमें एक्सपायरी डेट की मठरी (नमकीन) और सोंठ मिलाई जा रही थी। खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने जांच में पकड़ा है।
बेकरी में भी फंगस लगा खोवा पड़ा था। इसके अलावा कुछ और दुकानों की भी जांच की गई। खराब समोसा समेत कुल 15 नमूने लिए गए। वहीं बिना लाइसेंस के दुकान व बेकरी संचालित करने वालों को नोटिस जारी किया गया है।
शहर में मिलावट का खेल थम नहीं रहा है। दिवाली से छठ के बीच खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने शहरभर में अभियान चलाकर कार्रवाई की थी। बड़े पैमाने पर मिलावटी मिठाइयां पकड़ी गई थीं। नकली खोवा, पनीर, घी आदि भी पकड़े गए थे। लेकिन, धंधेबाजों ने इससे कोई सबक नहीं लिया। क्रिसमस और न्यू ईयर पर होने वाली खरीदारी को देखते हुए डीएम के निर्देश पर खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने मंगलवार को शहर में बेकरी और रेस्टोरेंट की जांच की।
सहायक आयुक्त खाद्य डॉ. सुधीर सिंह के नेतृत्व में निकली टीम ने केक, क्रीम, खोया, ब्रेड, बिस्कुट आदि का नमूना लिया। इस दौरान रुस्तमपुर इलाके के एक कैंटीन की जांच करने पहुंची टीम यह देखकर हतप्रभ रह गई कि यहां रखे समोसे में खराब क्वालिटी की मठरी (नमकीन) और सोंठ मिलाकर उसे दुबारा बनाया जा रहा था।
रेस्टोरेंट की जांच के दौरान पता लगा कि इसके दूसरे हिस्से में बेकरी भी चलती है, जिसमें केक, बिस्कुट, पावरोटी आदि बनाए जा रहे थे। वहां टीम को फंगस लगा खोवा मिला। आशंका जताई कि इसका उपयोग भी मिठाई बनाने में होता होगा। छानबीन में यह बात पता लगा कि लंबे समय से संचालित इस बेकरी व रेस्टोरेंट का खाद्य सुरक्षा विभाग में पंजीकरण ही नहीं है।
रुस्तमपुर के पास एक बेकरी और रेस्टोरेंट बिना पंजीकरण के चल रहा है। मंगलवार को जांच की गई तो यहां बासी समोसे में मिलावट का मामला पकड़ा गया। इसके अलावा यहां फंगस लगा खोवा भी मिला। संचालक को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है। यहां से समोसा व खोवा का सैंपल लिया गया है। मंगलवार को कुल 15 सैंपल लिए गए: सुधीर कुमार, सहायक आयुक्त, खाद्य विभाग
बार-बार जलने से तेल हो जाता है जहरीला
फिजिशियन डॉ. अखिलेश सिंह ने बताया कि एक ही तेल में बार-बार समोसा या कोई अन्य खाद्य सामग्री तली जाती है, तो तेल में मौजूद पोषक तत्व और एंटीऑक्सीडेंट नष्ट हो जाते हैं। ऐसे तेल में पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (पीएएच) और एक्रिलामाइड का निर्माण होता है। इनकी वजह से लिवर में इंफेक्शन होता है। इससे पाचन संबंधी समस्याएं और एलर्जी भी हो सकती है। आमतौर पर लोग इसे दूर से ही देखकर भी पहचान सकते हैं। बार-बार जलने से तेल का रंग काला पड़ने लगता है।