कृष्ण कुमार तिवारी, ब्यूरो चीफ, अंबेडकर नगर, दैनिक देवल |
विगत कई दिनों से एक खबर सोशल मीडिया पर बड़े जोर शोर से चल रही है। जिसमें बताया जा रहा है कि नगर पंचायत जहागीरगंज के तथाकथित चेयरमैन प्रतिनिधि सुनील कुमार मौर्य अपने हिस्ट्री सीटर दोस्त सनी सिंह के साथ जहागीरगंज नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी विनय कुमार द्विवेदी को पीटा । जिसकी शिकायत विनय कुमार द्विवेदी ने जहागीरगंज थाने में दिया कि उनके साथ सुनील मौर्य एवं सनी सिंह के अलावा तीन चार अन्य लोग भी उनको मारे पीटे एवं सरकारी अभिलेख को फाड़ दिया। पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए सुनील कुमार मौर्य एवं सनी सिंह को पकड़कर थाने ले आई।दूसरे दिन न्यायालय के समक्ष पेश किया जहां न्यायालय के द्वारा जमानत पर वे दोनों रिहा हो गए ।
विभिन्न समाचार पत्रों से दूसरे दिन जानकारी प्राप्त हुई जिसमें बताया गया की अधिशासी अधिकारी ने एफआईआर लिखवाने के लिए थाना अध्यक्ष को हल्का सिपाही के द्वारा ₹50000 रिश्वत दिया बताया जाता है कि अधिशासी अधिकारी विनय कुमार द्विवेदी ने इसकी लिखित शिकायत पुलिस अधीक्षक के समक्ष दिया। पुलिस अधीक्षक ने इसकी जांच करने के लिए अपर पुलिस अधीक्षक पूर्वी एवं अपर पुलिस अधीक्षक पश्चिमी को दिया। स्थित की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अधीक्षक ने जहागीरगंज थाने के थाना अध्यक्ष अक्षय कुमार एवं हल्का सिपाही पवन चतुर्वेदी को लाइन हाजिर कर दिया।
सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि मार खाने एवं अभिलेख फाड़ देने के बावजूद भी विनय कुमार द्विवेदी को ₹50000 देकर अपनी एफआईआर लिखवानी पड़ी। यदि मामला पूरी तरह सत्य होता तो एक सरकारी आदमी दूसरे सरकारी आदमी को क्यों रिश्वत दिया ।सवाल गले से नीचे नहीं उतरता है जबकि कानून में इसका पूरी तरह उल्लेख है कि जितना दोषी रिश्वत लेने वाला होता है उतना ही रिश्वत देने वाला भी दोषी माना जाता है। यदि पुलिस अधीक्षक ने यह मानकर थाना अध्यक्ष अक्षय कुमार को एवं हल्का सिपाही पवन चतुर्वेदी को लाइन हाजिर कर लिया कि यह दोनों लोग एक सरकारी अधिकारी से₹50000 रिश्वत लिया तो ठीक उसी तरह से विनय कुमार द्विवेदी के ऊपर भी₹50000 जुर्माना रिश्वत देने के जुल्म में एफआईआर पंजीकृत कर कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए।
नाम न छापने की शर्त पर कुछ लोगों ने बताया कि यह पूरा मामला चेयरमैन प्रतिनिधि सुनील कुमार मौर्य एवं अधिशासी अधिकारी विनय कुमार द्विवेदी के अपने-अपने मनचाहा ठेकेदारों को काम देने और दिलवाने के लिए आपस में कहां सुनी हुई थी। विनय कुमार द्विवेदी को कुछ चाटुकार ठेकेदारों ने इतना गुमराह कर दिया कि अधिशासी अधिकारी विनय कुमार द्विवेदी भ्रमित होकर तहरीर देने तक उतावले हो गए।