विश्व व्यापार संगठन (WTO) आज से अबू-धाबी में मंत्री-स्तरीय बैठक करेगा। इस बैठक में कई देश के मंत्री शामिल होंगे। चीन के साथ पश्चिमी देशों की चुनौतियों की वजह से भारत खुद को एक नाजुक संतुलन की स्थितियों में पा रहा है। इस बैठक में भारत अपने कई एजेंडों के बारे में बताएगा। इस रिपोर्ट में भारत के सामने खड़ी चुनौतियों के बारे में जानते हैं।आज से अबू-धाबी में विश्व व्यापार संगठन (WTO) द्वारा मंत्री-स्तरीय बैठक होने जा रही है। इस बैठक में भारत भी शामिल है। बता दें कि भारत खुद को एक नाजुक संतुलन की स्थितियों में पा रहा है। दरअसल, भारत चीन के साथ पश्चिमी देशों की चुनौतियों का सामना कर रहा है।इसके अलावा भारत अपने एजेंडों के बारे में भी बताएगा। चलिए, इस आर्टिकल में भारत के एजेंडा के बारे में जानते हैं।निवेशक डब्ल्यूटीओ ( World Trade Organization) में एक समझौते पर जोर दे रहे हैं। इसमें निवेश प्रक्रिया को सरल बनाने पर निवेश प्रक्रियाओं को सरल बनाने के लिए डब्ल्यूटीओ में एक समझौते पर जोर दे रहा है। यह डब्ल्यूटीओ के तहत आने वाला निवेश सुविधा समझौता (Investment Facilitation Deal) है। भारत इस समझौते के विरोध में है। दरअसल, भारत का कहना है कि निवेशक डब्ल्यूटीओ के दायरे से बाहर है।इसके अलावा इस समझौते से विकासशील देश को नुकसान होता है और यह बहुपक्षवाद को भी कमजोर करता है।पश्चिमी देशों से भारत की चुनौतियां बहुआयामी हैं। इसमें ओटीटी प्लेटफॉर्म () से लेकर एग्रीकल्चर सेक्टर सब शामिल हैं। डब्ल्यूटीओ में सभी फैसले सर्वसम्मति के साथ लिये जाते हैं। इस वजह से भारत को आर्थिक सुधारों में पश्चिमी देश एक अवरोधक के रूप में देखता है।डिजिटल मीडिया जैसे नेटफ्लिक्स (Netflix) और स्पोटीफाई (Spotify) को इंटरनेट पर प्रसारित होने पर इंटरनेशनल टैक्स से छूट मिलती है। ऐसे में यह ओटीटी दिग्गज जब बाहरी देशों में स्थापित होते हैं तो भारी रेवेन्यू उत्पन्न करते हैं। इसका मतलब है कि भारत जैसे कई देशों के राजस्व का नुकसान होता है, जबकि यह इन ओटीटी प्लेटफॉर्म के लिए सबसे ज्यादा यूजर्स देता है।