अशोक ठाकुर, कोपागंज। कोपागंज नगर पंचायत क्षेत्र के पुराने कोपा स्थित बहुरहवा महादेव के मंदिर में आयोजित सात दिवसीय रूद्र चंडी महायज्ञ एवं शिव महापुराण कथा का आयोजन के पहले दिन बुधवार की शाम जारी महाशिवपुराण कथा में व्यास अभिषेक जी महाराज ने कहा की शिवजी पर कोई जल चढ़ाता है तो भगवान भोलेनाथ इस अर्पण से अत्यधिक प्रसन्न होते हैं। जल भगवान के मस्तक में भी है। मां गंगा के रूप में जलधारा शिवप्रिया है, ऐसा भी शास्त्रों में कहा गया है।जिस प्रकार भगवान विष्णु को अलंकार प्रिय,उसी प्रकार भगवान सूर्यनारायण को नमस्कार अत्यधिक प्रिय है।उन्होंने कहा कि जल चढ़ाने से आरोग्यता की प्राप्ति होती है। जब हम पूजा पाठ सत्संग में जाएं तो अपने साथ आने वाले बच्चों को भी साथ में लेकर के जाएं। कहा कि आज के समय पर पश्चिमी सभ्यता हमारे खान पान में रहन-सहन में अत्यधिक बढ़ रही है इसलिए सत्संग बहुत ही जरूरी है। संतो का संग ही सत्संग है हमें भी कुछ प्राप्त होगा तो सत्संग ही बहाना है। यह प्रभु प्राप्ति का सर्वोत्तम साधन है। शिव सती वियोग" के बारे में बताते हुए बताया कि भगवान शिव के द्वारा मना करने के बाद भी सती जी अपने पिता के घर गई।वहां शिव का स्थान ना होने के कारण सती को सहन नहीं हुआ और अपने अंगूठे से अग्नि प्रकट कर स्वयं को भस्म कर लिया। यह खबर भगवान भोलेनाथ को जैसे ही मिली,उन्होंने उसी क्षण अपनी जटाओं को खोल कर पृथ्वी पर जोर से पटका, जिससे वीरभद्र की उत्पत्ति हुई।उन्होंने कहा कि भगवान शिव कल्याण के देवता है जो अपने भक्तों का कल्याण करें उसका नाम शिव है। इसी क्रम उज्जैन से पधारे ब्राह्मण श्री रूद्र चंडी महायज्ञ का कार्यक्रम भी जारी रहा जिसमें संतोष त्रिपाठी, रूद्र दत त्रिपाठी ,बिंदु कांत त्रिपाठी अशोक श्रीवास्तव, साथ ही सैकड़ों की भक्तजन उपस्थित रहे।