आमिर, देवल ब्यूरो ,सरायख्वाजा, जौनपुर। पूर्वांचल विश्वविद्यालय के व्यावहारिक मनोविज्ञान विभाग एवं वेलनेस सेंटर के संयुक्त तत्वावधान में विश्व आत्महत्या रोकथाम सप्ताह का समापन संकाय भवन के कॉन्फ्रेंस हॉल में हुआ। विभिन्न प्रतियोगिताओं के प्रतिभागियों को पुरस्कृत करते हुये युवाओं को सकारात्मकता के साथ जीवन जीने का संदेश दिया गया।
समापन सत्र को सम्बोधित करते हुये कुलपति प्रो. वन्दना सिंह ने कहा कि आज की सबसे बड़ी समस्याओं में नशाखोरी, मानसिक रोग और भावनात्मक कमजोरी शामिल हैं जिनसे जूझते हुए कई लोग कठिन समय को नहीं झेल पाते। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे नशे से दूर रहें, मानसिक रूप से मजबूत बनें और अपनी भावनाओं को नियंत्रित करना सीखें। उन्होंने यह भी कहा कि नकारात्मकता से बचने के लिए योग और प्राणायाम बेहद प्रभावी साधन हैं। ऐसे अभ्यास व्यक्ति को कठिन परिस्थितियों में भी संतुलित निर्णय लेने में सक्षम बनाते हैं। युवाओं को जीवन के उतार-चढ़ाव से घबराना नहीं चाहिए और "आत्महत्या" जैसे शब्द को अपने जीवन से हमेशा के लिए मिटा देना चाहिये।
इस दौरान आमंत्रित अतिथि राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय की पूर्व प्राचार्य प्रो. डॉ. रुचिरा सेठी ने कहा कि कोई भी व्यक्ति जीवन में पूर्ण रूप से परफेक्ट नहीं हो सकता। चुनौतियों से डरने की बजाय उन्हें स्वीकार कर साहस के साथ आगे बढ़ना चाहिए। आज के युवा अक्सर छोटी-छोटी बातों पर मानसिक तनाव में आ जाते हैं जबकि जरूरी है कि कार्य को समर्पण के साथ करें और परिणामों को सहजता से स्वीकारें।
जनसंचार विभाग के अध्यक्ष प्रो. मनोज मिश्र ने युवाओं को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहने की सलाह देते हुये संवाद की महत्ता पर बल दिया। कार्यक्रम के नोडल अधिकारी एवं व्यावहारिक मनोविज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. अजय प्रताप सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया। डॉ. दिग्विजय सिंह ने आभार जताया। संचालन डॉ. जाह्नवी श्रीवास्तव ने किया। इस अवसर पर डॉ. सुनील कुमार, डॉ. अन्नू त्यागी, डॉ. अमित मिश्र, अर्पित यादव, पंकज सिंह सहित तमाम छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।