डीएम ने तीन सदस्यी टीम को सौंपा जांच
कृष्ण, देवल ब्यूरो, अंबेडकर नगर ।अम्बेडकरनगर जिले में भ्रष्टाचार का बड़ा मामला सामने आया है। मुख्य चिकित्साधिकारी (CMO) डॉक्टर संजय शैवाल पर हॉस्पिटल संचालक से रिश्वत मांगने का गंभीर आरोप लगा है। इस मामले को लेकर शिकायतकर्ता ने जिलाधिकारी (DM) अम्बेडकरनगर को प्रार्थना पत्र देकर कार्यवाही की मांग की। प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी अनुपम शुक्ला ने तत्काल संज्ञान लिया और मजिस्ट्रियल जांच समिति गठित कर दी है।
क्या था पूरा मामला
प्रार्थी सलिल पुत्र सूर्यनाथ निवासी रामगढ़ रोड, फरीदपुर, जलालपुर (अम्बेडकरनगर) ने अपने प्रार्थना पत्र में आरोप लगाया है कि उनके भाई का “प्रखर डेंटल क्लीनिक” वर्ष 2024-25 में पंजीकृत हुआ था, जिसका रजिस्ट्रेशन नंबर RMEE2448461 है।
क्लीनिक के रिन्यूवल के लिए 02 जुलाई 2025 को ऑनलाइन आवेदन किया गया।
05 जुलाई 2025 को सभी दस्तावेज़ जमा करने के बाद सीएमओ कार्यालय से एक सप्ताह में रिन्यूवल का आश्वासन दिया गया।
जब समय पर रिन्यूवल नहीं हुआ और दोबारा जानकारी ली गई तो सीएमओ ने अपने स्टेनो महेश बाबू से मिलने को कहा।
महेश बाबू ने रिन्यूवल कराने के लिए ₹1.50 लाख सीएमओ के नाम पर और ₹10 हजार अपने नाम पर रिश्वत की मांग की।
शिकायतकर्ता के अनुसार, जब उन्होंने रिश्वत देने से इंकार कर दिया तो रिन्यूवल की प्रक्रिया रोक दी गई। आरोप है कि सीएमओ ने कहा – “मेरी पहुंच प्रमुख सचिव स्वास्थ्य विभाग तक है। तुम जहां शिकायत करना चाहो कर लो, मैं वहां से मामले को दबा दूंगा।”
डीएम ने गठित की मजिस्ट्रियल जांच समिति
जिलाधिकारी अनुपम शुक्ला ने भ्रष्टाचार के इस गंभीर आरोप की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है। समिति के सदस्यों के नाम और पद इस प्रकार हैं – अंबेडकर नगर के अपर जिलाधिकारी डॉक्टर सदानंद गुप्ता, उप जिला अधिकारी न्यायिक डॉक्टर शशि शेखर, ज्वाइंट मजिस्ट्रेट श्रीमती प्रतीक्षा सिंह।
समिति को निर्देश दिया गया है कि शिकायतकर्ता को सुनवाई का अवसर प्रदान करते हुए पूरे मामले की तथ्यात्मक जांच रिपोर्ट एक सप्ताह के भीतर जिला अधिकारी को सौंपी जाए। उधर शिकायतकर्ता ने बताया कि उनके पास मोबाइल रिकॉर्डिंग का सबूत मौजूद है। जरूरत पड़ने पर जांच समिति को वह प्रमाण उपलब्ध कराएंगे। इस जांच की वजह से स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। अब देखने की बात होगी की जांच में सीएमओ पर लगे आरोप सही साबित होते हैं या नहीं।