देवल संवाददाता,मऊ। जिला कृषि अधिकारी ने बताया कि कृषकों को उनकी जोत के अनुसार संस्तुत मात्रा में गुणवत्तायुक्त उर्वरकों की उपलब्धता सुगमतापूर्वक सुनिश्चित कराने हेतु एवं निर्धारित दर पर उर्वरक उपलब्ध कराने के दृष्टिगत जनपद में उर्वरक आपूर्तिकर्ता कम्पनियों के प्रतिनिधियों एवं जनपद के समस्त थोक उर्वरक विक्रेताओं के साथ एक आवश्यक बैठक किया गया। जिसमें उनको निर्देशित किया गया कि किसी भी दशा में उर्वरक की कालाबाजारी,टैगिंग एवं ओवररेटिंग नही होनी चाहिए। यदि कालाबाजारी,टैगिंग एवं ओवररेटिंग करते पाया जाता है तो सम्बन्धित के विरूद्ध दण्डात्मक कार्यवाही की जायेगी इसके साथ ही समस्त उर्वरक विक्रेता अपने-अपने उर्वरक बिक्री केन्द्रों पर स्टॉक बोर्ड एवं रेट बोर्ड अनिवार्य रूप से ऐसे स्थान पर प्रदर्शित किया जाना सुनिश्चित किया जाए कि कृषको द्वारा आसानी से उर्वरकों के मूल्यों की जानकारी हो सके। स्टॉक बोर्ड एवं रेट बोर्ड न पाये जाने पर या शिकायत प्राप्त होने पर सम्बन्धित उर्वरक विक्रेता के विरुद्ध उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 के अन्तर्गत कार्यवाही प्रारम्भ कर दी जायेगी। इसके साथ समस्त उर्वरक विक्रेता यह सुनिश्चित कर लें कि किसी किसान बन्धु को उर्वरक बिक्री करते समय किसी अन्य उत्पाद की टैगिंग नही करनी है। ऐसे कृत्य की शिकायत पर सम्बन्धित उर्वरक विक्रेता के विरूद्ध आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में निहित प्राविधान के अर्न्तगत कार्यवाही की जायेगी जिसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होगें।