आजमगढ़ |उत्तर प्रदेश गो सेवा आयोग के सदस्य रमाकांत उपाध्याय ने शुक्रवार को आजमगढ़ सर्किट हाउस में पत्रकारों से संवाद करते हुए प्रदेशभर में गौसेवा को लेकर ऐतिहासिक दिशा-निर्देश साझा किए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गौवंशों की सेवा हेतु "कुबेर का भंडार" खोल दिया है, अब ज़रूरत है कि हर जिले में सुविधायुक्त, आत्मनिर्भर गौशालाओं का निर्माण हो।उन्होंने बताया कि सभी अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि गोशालाएं केवल संरक्षण केंद्र नहीं, बल्कि उत्पादक इकाइयाँ बनें। उपाध्याय ने कहा कि गोशालाओं में गोबर से जैविक खाद, गोमूत्र से कीटनाशक, गोबर पेंट, और अन्य सांस्कृतिक उत्पाद तैयार किए जाएं, जिससे न केवल गौवंश का संरक्षण, बल्कि आर्थिक सशक्तिकरण भी संभव हो सके।बीमार गायों के लिए विशेष देखभाल केंद्र बनेउन्होंने ज़ोर देकर कहा कि बीमार व कमजोर गोवंशों को अलग देखरेख केंद्रों में विशेष सुविधा मिले और उनकी नियमित चिकित्सा हो। “गौवंश केवल धार्मिक आस्था नहीं, खेती और ग्रामीण जीवन की रीढ़ है,।
ग्राम प्रधानों को जिम्मेदारी: हर गांव में 10 बायोगैस प्लांट लगें-
गो सेवा आयोग सदस्य ने सभी खंड विकास अधिकारियों (BDOs) को निर्देशित किया कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में ग्राम प्रधानों के साथ बैठक करें और उन्हें गांवों में 10-10 किसानों को बायोगैस प्लांट लगाने के लिए प्रेरित करें। इससे न केवल ऊर्जा उत्पादन, बल्कि स्वच्छता, रोजगार और जैविक खेती को भी बढ़ावा मिलेगा।हर जिले में एक संपूर्ण सुविधाओं से युक्त गौशाला का निर्माण अनिवार्य।गोबर से खाद, पेंट और अन्य जैविक उत्पाद तैयार कर आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम।
बीमार गायों के लिए अलग व्यवस्था और विशेष देखभाल केंद्र-
हर गांव में बायोगैस प्लांट लगाने का लक्ष्य, किसानों को जैविक खेती के लिए प्रेरित किया जाएगा।यह अभियान न सिर्फ गौवंशों की रक्षा, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था और पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से भी एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।