देवल संवाददाता, आजमगढ़। जिले के नरौली मोहल्ले में सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे के चर्चित मामले में न्यायालय ने सख्त रुख अपनाते हुए चार लोगों के खिलाफ एकपक्षीय आदेश को निरस्त कर दिया है। कोर्ट ने बेदखली और हजार्ना वसूली की प्रक्रिया का रास्ता साफ कर दिया। यह मामला तहसील सदर के मौजा नरौली का है, जहां शहर से सटी 18 बिस्सा सरकारी जमीन, जो गाढ़ा और नवीन परती के रूप में दर्ज है, पर चार व्यक्तियों निक्कू पुत्र स्व. बहादुर, मुकेश यादव, रमेश यादव और कमलेश यादव पुत्रगण निक्कू ने अवैध कब्जा कर लिया था। इन लोगों ने ग्राम सभा की जमीन को निजी सहन और आबादी के रूप में घेर लिया।
आरोपियों ने 1978 के एक पुराने दीवानी आदेश का हवाला देकर कब्जे को जायज ठहराने की कोशिश की, लेकिन लेखपाल की रिपोर्ट, स्थानीय शिकायतों और ग्राम सभा की याचिकाओं के आधार पर कोर्ट ने मामले की दोबारा सुनवाई की। जनहित याचिका संख्या 807/2024 के तहत हाईकोर्ट के आदेश पर तहसीलदार न्यायिक विवेकानंद दूबे ने जांच की और पाया कि 15 जून 2017 का आदेश विधि विरुद्ध और एकपक्षीय था। इसे रद्द करते हुए कोर्ट ने वाद को मूल स्थिति में बहाल कर बेदखली और जुमार्ने की कार्रवाई का निर्देश दिया।
मामले की गंभीरता तब और बढ़ गई, जब पता चला कि आरोपियों में शामिल मुकेश यादव राजस्व विभाग में कार्यरत हैं और वर्तमान में मुख्य राजस्व अधिकारी के चालक के पद पर तैनात हैं। सरकारी कर्मचारी द्वारा सार्वजनिक जमीन पर अतिक्रमण का यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है। नरौली मोहल्ले में शहर से सटी इस जमीन को लेकर लिया गया यह निर्णय ग्राम सभा की संपत्ति की सुरक्षा और अतिक्रमण के खिलाफ सख्त संदेश के रूप में देखा जा रहा है। अगली सुनवाई 8 अगस्त को होगी, जिसमें कोर्ट यह देखेगा कि आदेश का पालन कितना हुआ है।