कृष्ण, देवल ब्यूरो, अंबेडकर नगर ।सददरपुर के राजकीय महामाया मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार को सीवर सफाई के दौरान दिल दहला देने वाला हादसा हो गया। सीवर में उतरे देवानंद समेत दो मजदूरों की दम घुटने से मौके पर ही मौत हो गई। हादसे ने मेडिकल कॉलेज प्रशासन की लापरवाही की पोल खोल दी है।मृतक देवानंद ग्राम चहोडा शाहपुर के रहने वाले थे और वर्षों से नगर पालिका टांडा में संविदा पर काम कर रहे थे। परिवार का आरोप है कि मेडिकल कॉलेज के करन बाबू ने बिना किसी सुरक्षा उपकरण के मजदूरों को सीवर में उतार दिया। न गैस मास्क, न ऑक्सीजन सिलेंडर और न ही कोई सुरक्षा प्रशिक्षण – सीधा मौत के मुंह में धकेल दिया गया!देवानंद अपने पीछे पत्नी गीता देवी और पांच मासूम बेटियों – एकता, आंशिका, नैना, अनन्या और लबली को बेसहारा छोड़ गए हैं। परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है। पत्नी गीता देवी ने कहा कि अगर सुरक्षा उपकरण होते तो आज उनके पति जिंदा होते।घटना की सूचना पर तहसीलदार पद्मेश श्रीवास्तव और थाना प्रभारी आलापुर राकेश कुमार मौके पर पहुंचे और निष्पक्ष जांच का भरोसा दिलाया। लेकिन गांव में गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा।घटना के बाद पीड़ित परिवार के समर्थन में कई राजनीतिक और सामाजिक संगठनों के नेता गांव पहुंच गए। मुलायम सिंह यूथ ब्रिगेड के राष्ट्रीय सचिव प्रद्युम्न यादव ‘बबलू’, बसपा जिलाध्यक्ष सुनील कुमार सावंत, नेता जयप्रकाश मौर्य, बलराम निषाद और भीम आर्मी प्रतिनिधियों ने साफ कहा – अगर जल्द FIR दर्ज कर ठेकेदार, मेडिकल कॉलेज के जिम्मेदार अफसरों पर हत्या का मुकदमा नहीं चला तो सड़कों पर उतरकर होगा बड़ा आंदोलन!नेताओं ने सरकार से पीड़ित परिवार को 25 लाख रुपए मुआवजा, गीता देवी को सरकारी नौकरी और पांचों बच्चियों की पढ़ाई-इलाज का पूरा खर्च उठाने की मांग की है।
परिवार ने साफ कर दिया है कि जब तक दोषियों पर कार्रवाई नहीं होती, वे पीछे हटने वाले नहीं हैं। सवाल बड़ा है – मजदूरों की जान की कीमत आखिर कितनी सस्ती है? और क्या जिम्मेदारों पर कभी कार्रवाई होगी या फिर लापरवाही से जानें यूं ही जाती रहेंगी?