आमिर, देवल ब्यूरो ,जौनपुर। जलालपुर थाना क्षेत्र निवासी एवं पत्रकार प्रेस क्लब के जिला संयोजक विवेक सिंह के मामले में गालीबाज थानाध्यक्ष त्रिवेणी सिंह ने खुद पर लगे आरोपों से बचने के लिये सीओ सिटी देवेश सिंह को एक झूठी और मनगढ़ंत कहानी सुनाकर उन्हें गुमराह करने की कोशिश किया। थानाध्यक्ष त्रिवेणी सिंह ने दावा किया कि पत्रकार विवेक सिंह पर कोर्ट द्वारा जमीन से बेदखली का आदेश पारित हुआ है। वे जमीन खाली करने से बचने के लिये मेरे ऊपर अनुचित दबाव बनाने के लिये झूठा प्रार्थना पत्र दे रहे हैं। थानाध्यक्ष का दावा तो पूर्ण रूप से हास्यास्पद है। इनकी बातों पर कुछ समय के लिये यदि भरोसा किया भी जाय तो क्या पत्रकार को जमीन से बेदखली कराने का अधिकार उनके पास है?
हालांकि सीओ सिटी ने थानाध्यक्ष की बातों को जांच के दायरे में लेते हुये उनसे सम्बन्धित दस्तावेज प्रस्तुत करने को कहा और पत्रकारों को निष्पक्ष जांच और न्याय का भरोसा भी दिलाया है। जान लें कि मामला 2 जून का है। जब एक खबर से नाराज़ होकर थानाध्यक्ष त्रिवेणी सिंह ने कथित तौर पर पत्रकार विवेक सिंह का नाम लेकर पीड़ित के सामने ही अपशब्द कहे और फर्जी मुकदमे में फंसाकर जीवन बर्बाद करने की धमकी दिये। इस घटना से क्षुब्ध पत्रकार प्रेस क्लब उत्तर प्रदेश के बैनर तले दर्जनों पत्रकारों के साथ पीड़ित पत्रकार पुलिस अधीक्षक सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से शिकायत कर कार्यवाही की मांग किया। पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर पत्रकार विवेक सिंह को सीओ सिटी कार्यालय में बयान दर्ज कराने के लिये बुलाया गया जहां दर्जनों पत्रकार भी एकजुट होकर पहुंचे।
सीओ सिटी ने जब थानाध्यक्ष से मोबाइल पर बात की तो उन्होंने पत्रकार के खिलाफ पारिवारिक विवाद और कोर्ट के आदेश का हवाला दिया। थानाध्यक्ष के झूठी दास्तान के जवाब में पत्रकार विवेक सिंह ने स्पष्ट किया कि उनके खिलाफ किसी भी न्यायालय द्वारा कोई बेदखली का आदेश पारित नहीं हुआ है। थानाध्यक्ष झूठी कहानी गढ़कर सीओ सिटी को गुमराह कर रहे हैं। पीड़ित पत्रकार ने यह भी दावा किया कि थानाध्यक्ष द्वारा जो बताया जा रहा है, वह उससे संबंधित साक्ष्य भी प्रस्तुत करें। बहरहाल सीओ सिटी ने मामले की गम्भीरता से लेते हुये थानाध्यक्ष से पीड़ित पत्रकार के विरुद्ध पारित बेदखली के आदेश की प्रति भी मांगी है। वैसे चाहे जो भी हो पर ऐसे बदमिजाज दरोगा को बार-बार थाने का चार्ज देकर पुलिस अफसर भी सवालों के घेरे में हैं?
जलालपुर थानाध्यक्ष त्रिवेणी सिंह का यह कोई नया मामला नहीं है। इन्होंने तो सुप्रीम कोर्ट के साथ मानवाधिकार आयोग के नियमों का बार-बार उल्लंघन किया है। इनके भ्रष्ट करतूतों का जीता—जागता प्रमाण एक नहीं, बल्कि अनेक वीडियो चिल्लाकर गवाही दे रहे हैं। इसके बावजूद भी इन्हें मलाईदार थानों का चार्ज दिया जाता है। त्रिवेणी सिंह को चार्ज दिलाने के पीछे कोई सत्ताधारी प्रभावशाली नेता है या पुलिस डिपार्टमेंट का कोई प्रमुख अधिकारी?