प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई ने बुधवार को कहा कि समाज के बड़े हिस्से को हाशिए पर रखने वाली असमानताओं को दूर किए बिना कोई भी राष्ट्र वास्तव में प्रगतिशील या लोकतांत्रिक होने का दावा नहीं कर सकता है।
सामाजिक-आर्थिक न्याय एक व्यावहारिक आवश्यकता है- सीजेआई
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दीर्घकालिक स्थिरता, सामाजिक सामंजस्य और सतत विकास का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए सामाजिक-आर्थिक न्याय एक व्यावहारिक आवश्यकता है।
न्याय कोई अमूर्त आदर्श नहीं है- सीजेआई
भारत में सामाजिक-आर्थिक न्याय प्रदान करने में संविधान की भूमिका विषय पर मिलान में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि न्याय कोई अमूर्त आदर्श नहीं है। इसे सामाजिक संरचनाओं, अवसरों का बंटवारा और लोगों के रहने की स्थितियों में जड़ें जमानी चाहिए।