कृष्ण, देवल ब्यूरो, अंबेडकर नगर ।जिला पंचायत अंबेडकरनगर एक बार फिर भ्रष्टाचार के आरोपों के घेरे में आ गई है। 29 मई 2025 को कार्यालय जिला पंचायत द्वारा प्रकाशित निविदाओं की जांच में गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं। मीडिया टीम की पड़ताल में पाया गया कि कई ऐसे कार्यों के लिए टेंडर जारी किए गए हैं, जो पहले ही पूर्ण हो चुके हैं।
सबसे चौंकाने वाला मामला *क्रम संख्या* 34 का है, जिसमें "माननीय अध्यक्ष जिला पंचायत के कक्ष की मरम्मत एवं सौंदर्यीकरण" के लिए निविदा जारी की गई है। यह वही कार्य है जिसके लिए *पिछले वर्ष भी टेंडर निकाला गया था,* और बाद में खुलासा हुआ था कि कार्य पहले ही करा लिया गया था और टेंडर औपचारिकता मात्र था। तब यह मामला मीडिया में उछला था और पंचायतीराज मंत्री ने जांच के आदेश दिए थे। उस समय मंत्री का एक पत्र भी वायरल हुआ था जिसमें स्पष्ट रूप से लिखा था कि “कार्य पहले कराया गया, टेंडर बाद में निकाला गया।”
हालांकि उस जांच की रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक नहीं की गई, और अब एक बार फिर उसी कार्य के लिए निविदा निकालकर विभाग ने सवालों के घेरे में खुद को खड़ा कर लिया है। आरोप है कि *पैसा निकालने के लिए दोबारा निविदा प्रकाशित की गई है।*
इसी तरह *क्रम संख्या* 15 में ग्राम सभा मछली गांव में पहले से लगाए गए खड़ंजे के लिए टेंडर निकाला गया है, जबकि वह कार्य ग्रामीणों द्वारा श्रमदान से पहले ही कराया जा चुका है। चूंकि किसी विभाग से उस कार्य की धनराशि स्वीकृत नहीं हुई थी, तो अब उसे नया दिखाकर अवर अभियंता *रमेश कुमार* से एस्टीमेट बनवाया गया, जिसे अभियंता *अभिलाष श्रीवास्तव* ने अनुमोदित किया और *अपर मुख्य अधिकारी जितेंद्र कुमार* ने निविदा आमंत्रित कर दी।
अब सवाल यह उठता है कि जब विभाग को यह जानकारी थी कि कार्य पहले ही कराया जा चुका है, फिर भी टेंडर क्यों निकाला गया? क्या यह स्पष्ट रूप से *लोकधन की बंदरबांट* का मामला नहीं है?
*क्या इस बार ठोस कार्यवाही होगी या जांच फिर ठंडे बस्ते में जाएगी?*
अब निगाहें एक बार फिर पंचायतीराज मंत्री पर टिकी हैं कि वे इस पुनरावृत्त भ्रष्टाचार पर क्या रुख अपनाते हैं। जनता और मीडिया पारदर्शिता और न्याय की उम्मीद कर रहे हैं।