पहलगाम हमले के बाद भारत ने जो कदम उठाए हैं, उनमें सबसे बड़ा फैसला है- सिंधु जल समझौते पर रोक लगाना। पाकिस्तान की खेती, पीने का पानी और बिजली उत्पादन का बड़ा हिस्सा इसी पानी पर निर्भर है। यह पहला मौका है जब भारत ने सिंधु जल समझौता पर रोक लगाई है।सिंधु जल समझौते पर भारत के रोक लगाने से पाकिस्तान में जल संकट उत्पन्न होगा और इसका असर कृषि पर पड़ेगा।
सिंधु जल समझौता?
1960 में भारत के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के बीच ये समझौता हुआ था। समझौते में सिंधु बेसिन से बहने वाली 6 नदियों को पूर्वी और पश्चिमी हिस्से में बांटा गया था।
ढाई घंटे तक चली मीटिंग में क्या-क्या हुआ?
तकरीबन ढ़ाई घंटे चली सीसीएस की बैठक के बारे में विदेश सचिव मिसरी ने यह बताया कि, 'सीसीएस ने पूरी स्थिति की समीक्षा की और सभी सैन्य बलों को उच्चस्तरीय सतर्कता बरतने का आदेश दिया। यह संकल्प लिया गया कि पहलगाम हमले के दोषियों को दंडित किया जाएगा।
विवाद निपटाने का तंत्र
दोनों देशों को विवाद का निपटारा शांतिपूर्ण तरीके से करना होगा।
विवाद आपसी बातचीत से निपटाना होगा।
यदि बातचीत से हल नहीं निकलता है तो मामला सिंधु आयोग पर बने स्थायी आयोग के पास जाएगा।
यदि वह भी विवाद के निपटारा करने में असफल रहता है तो मामला अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में जाएगा। कोर्ट का फैसला सर्वमान्य होगा। भारत और पाकिस्तान के बीच कई बार युद्ध हो चुका है लेकिन अब तक कभी भी समझौते को निरस्त या निलंबित नहीं किया गया। लेकिन अब भारत ने इस समझौते को स्थगित कर दिया है।
पाकिस्तान को है फायदा
पाकिस्तान को इन नदियों के प्रवाह का 80 प्रतिशत पानी मिलता है। पंजाब और सिंध प्रांत की खेती इसी पानी पर निर्भर है।
पाकिस्तान पर पड़ेगा क्या असर?
पाकिस्तान की 80 फीसदी खेती योग्य भूमि सिंधु नदी प्रणाली के पानी पर निर्भर है।
इस पानी का 93 फीसदी हिस्सा सिंचाई के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जिसके बिना खेती असंभव है।
23 प्रतिशत योगदान करता है कृषि क्षेत्र पाकिस्तान की राष्ट्रीय आय में, 68 प्रतिशत आबादी खेती पर निर्भर
सिंधु और उसकी सहायक नदियों के पानी पर निर्भर हैं पाकिस्तान के प्रमुख शहर कराची, लाहौर, मुल्तान।
सिंधु के पानी से चल रहे हैं पाकिस्तान के तरबेला और मंगला जैसे पावर प्रोजेक्ट
पाकिस्तान में खाद्य उत्पादन में गिरावट आ सकती है, खाद्य सुरक्षा को खतरा।
पाकिस्तान की शहरी जल आपूर्ति रुक जाएगी, अशांति फैल जाएगी।
बिजली उत्पादन ठप हो जाएगा, शहरी इलाकों में अंधेरा छा जाएगा।