विश्वविद्यालय के सुविधा केंद्र स्थित न्यू सेमिनार हॉल में प्रात:11 बजे “राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के संदर्भ में शोध पद्धति की रूपरेखा” विषय पर विशेष व्याख्यान सत्र का आयोजन किया गया । इस विशेष व्याख्यान की शुरुआत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.संजीव कुमार तथा चौधरी बंसी लाल विश्वविद्यालय भिवाड़ी(हरियाणा) से वाणिज्य एवं प्रबंधन संकाय के प्रो. संजय कुमार सिन्हा ने मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन और माल्यार्पण से की। कार्यक्रम सयोजंक व्यवसाय प्रबंधन विभाग के डॉ. रोहित पाण्डेय ने इस सत्र के विषय से संबधित प्रस्तावना में वर्तमान समय गुणात्मक शोध को बढ़ावा देने आवश्यकता को देखते हुए इस विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस विशेष व्याख्यान सत्र में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजीव कुमार ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि शोध पद्धति एक अकादमिक शिक्षण से भिन्न होती है वर्तमान में 95% एक दूसरे शोध का हुबहू नकल आधारित होने लगे है।इसलिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मुताबिक हमें गुणात्मक शोध में सुधार लाना होगा। वर्तमान समय में 95% शोधार्थी सिर्फ पीएचडी डिग्री की खानापूर्ति के लिए शोध करते हैं उसमें शोध की गुणवत्ता की कमी दिखाई पड़ती है। हम शिक्षकों को विश्वविद्यालय के छात्रों को शोध की गुणवत्ता को समझने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप शोध में गुणवत्ता लानी होगी। विद्यार्थियों को एक वैज्ञानिक तरीके से शोध प्रविधि को समझना होगा।
विशिष्ठ अतिथि प्रो. संजय कुमार सिन्हा ने अपने उद्बोधन में कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष स्वर्गीय कस्तूरीरंजन को स्मरण करते हुए उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में गुणात्मक शोध को बढ़ावा देने के लिए अथक प्रयास है । वर्तमान में शिक्षा अर्थशास्त्र को चलाने के लिए रीड हड्डी है । भारत में 65% युवाओं की आबादी है, इस समय युवाओं का समग्र विकास के लिए हमें स्किल बेस शिक्षा देने की आवश्यकता है। हमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप मूल्य शिक्षा और नैतिक शिक्षा को शोध में स्थान देने की जरूरत है। वर्तमान में अंतर अनुशासनिक और बहु अनुशासनिक शोध को बढ़ाने की जरूरत है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इन दोनों बिंदुओं को महत्वपूर्ण बताया गया है। हमें समय और प्रस्तुति के अनुसार शोध की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए नए आयामो को शोध में सम्मिलित करना होगा।
इस व्याख्यान सत्र का मंच संचालन विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग की डॉ. ऋतंभरा ने किया
अंत में इस व्याख्यान सत्र में आये सभी आगुन्तकों का आभार एवं धन्यवाद ज्ञापन करते हुए शुभम सिंह ने कहा कि निश्चित तौर पर यह व्याख्यान विद्यार्थियों के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा ।
इस व्याख्यान सत्र में विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों से करीब 100 विद्यार्थियों, आयोजन टीम सदस्यों सहित विश्वविद्यालय के अन्य विभागों के अतिथि प्रवक्तागण ने हिस्सा लिया।