देवल संवादाता,वाराणसी,रंगभरी एकादशी के अगले दिन महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर दोपहर 12 बजे से मसाने की होली होगी। आयोजकों ने महिलाओं से अपील की है कि वह लोग श्मशान घाट पर होली देखने न आएं। ऐसा होली में होने वाली भीड़, हुड़दंग के चलते महिलाओं की सुरक्षा के लिहाज से कहा गया है।
पराड़कर भवन में बाबा महाश्मशान नाथ मंदिर कमेटी के व्यवस्थापक गुलशन कपूर और उपाध्यक्ष संजय गुप्ता ने प्रेसवार्ता के दौरान यह अपील की है।
कमेटी ने कहा कि यदि महिलाओं को मसाने की होली देखनी है तो गंगा द्वार से या कहीं दूर से देखें। भीड़ का हिस्सा न बनें। साथ ही देवी-देवताओं और स्वांग के स्वरूपों का प्रवेश भी इस बार प्रतिबंधित रहेगा।
उन्होंने कहा कि देवी-देवता के स्वरूप और स्वांग रचाने वालों से भी भीड़ बढ़ जाती है। इसलिए उनके भी प्रवेश वर्जित किए गए हैं। उन्होंने बताया कि जो लोग नशा करके आते हैं, उनकी वजह से भी बहुत अव्यवस्था होती है। इसलिए उन्हें भी रोका गया है।
होली बाबा मसाननाथ मंदिर में बाबा के पूजन व भोग आरती के बाद शुरू होगी। इस बार गर्भगृह के अंदर ही रस्म निभाते हुए होली खेली जाएगी। इस दौरान सुरक्षा की भी कड़ी व्यवस्था रहेगी। गुलशन कपूर ने बताया कि बाबा भस्म की होली खेलते हैं। ऐसे में इस परंपरा को निभाते हुए लोग होली खेलें और पुण्य का लाभ उठाएं। बताया कि काशी में चिता भस्म की होली खेलने देश-विदेश से श्रद्धालु आएंगे।
विरोध करने वाले कर सकते हैं शास्त्रार्थ
गुलशन कपूर ने मसाने की होली को लेकर कुछ लोगों द्वारा किए जा रहे विरोध पर शास्त्रार्थ करने को कहा। कहा कि जो लोग चिता भस्म की होली को धर्म सम्मत नहीं मान रहे हैं, वह इसका आधार बताएं। वह खुले मंच पर शास्त्रार्थ कर सकते हैं। हमेशा से बाबा को भस्म चढ़ती है। द्वादश ज्योतिर्लिंगों में एक महाकाल में भस्म से पूजा होती है।
मणिकर्णिका तीर्थ से पुण्य लेकर बांटते हैं बाबा
बाबा विश्वनाथ मणिकर्णिका तीर्थ से पुण्य लेकर श्रद्धालुओं में बांटते हैं। गुलशन कपूर ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि रंगभरी एकादशी के दिन बाबा विश्वनाथ मां पार्वती का गौना (विदाई) कराकर अपने धाम काशी लाते हैं। इसे उत्सव के रूप में काशीवासी मनाते हैं और रंग का त्योहार होली शुरू हो जाता है।