राकेश, देवल ब्यूरो।सोनभद्र। प्राकृतिक रूप से समृद्ध होने के बावजूद जनपद सोनभद्र भौगोलिक रूप से काफी दुरूह भी है। यहां सोन नदी, कनहर, बिजुल, रेणूका, आदि छोटी बड़ी पहाड़ी नदियां होने के बावजूद शुद्ध पेयजल यहां की प्रमुख समस्याओं में से एक रहा है। यहां के पेयजल में फ्लोराइड, आयरन आदि रासायनिक तत्वों के कारण गंभीर बीमारियों का भी खतरा बना रहता है। वर्षों से शुद्ध पेयजल को तरस रहे यहां की आदिवासी आम जनता को थोड़ी राहत तब मिली जब केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना हर घर नल जल की शुरुआत हुई। लोगों को लगा कि अब हर घर में शुद्ध पेय जल की आपूर्ति हो पाएगी और खतरनाक बीमारियों से निजात छुटकारा मिलेगा। लेकिन भ्रष्टाचार ने गरीबों के नल तक जल नहीं पहुंचने दिया।
हर घर नल योजना के तहत जनपद के सभी गांवों में पाइपलाइन बिछाकर जल पहुंचने का कार्य प्रारंभ कर दिया गया। योजना के तहत क्षेत्र के प्रमुख जल स्रोतों से जोड़कर इन पाइपलाइन के जरिए लोगों के घरों तक शुद्ध पेयजल पहुंचाया जाना सुनिश्चित था। परंतु जनपद में लगभग चार प्रतिशत गांव में अभी तक पाइपलाइन ही नहीं बिछ पाई और जहां पाइपलाइन बिछी है वहां पर शुद्ध जल आपूर्ति के लिए साधन ही नहीं बने। बावजूद इसके यहां का कार्य कागज पर सौ प्रतिशत पूर्ण दिखा दिया गया। राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा झूठी रिपोर्ट प्रस्तुत करने पर जब केंद्र सरकार की दूसरी जांच एजेंसी ने जांच की तो शिकायत सच साबित हुई। केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के सचिव ने 21 नवंबर को भेजे गए पत्र के माध्यम से मुख्य सचिव को अवगत कराया की अभी तक चार प्रतिशत गांव में पाइपलाइन ही नहीं बिछाई गई है, तमाम राजनीतिक दलों एवं बुद्धिजीवियों द्वारा कभी - कभी सवाल उठाए जाते रहे कि सरकारी योजनाओं को प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा लिपा पोती किया जा रहा है,जबकि रिपोर्ट में सौ फीसदी कार्य पूर्ण दिखाया गया है। जनपद के कुसुम्हा, गोविंदपुर आदि गांव में इसकी बानगी की देखी जा सकती है। केंद्र सरकार के इस महत्वाकांक्षी योजना में अरबो रुपए खर्च होने के बावजूद प्राप्त हो रहे 54 प्रतिशत पेयजल जल के नमूने मानक पर खरे नहीं उतरे। ऐसे में जनपद के आमजन के बीच शुद्ध पेयजल को लेकर जगी उम्मीद पर पानी फिरता दिख रहा है।