कृष्ण कुमार तिवारी, ब्यूरो चीफ, अंबेडकर नगर दैनिक देवल , अंबेडकरनगर। डीएपी खाद की किल्लत ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। आलम यह है कि एक एकड़ में गेहूं की बोआई करने वाले किसानों को समिति से मात्र एक बोरी ही खाद मिल रही है, जबकि उन्हें इसके लिए दो बोरी खाद की दरकार है। समितियों से पर्याप्त खाद न मिलने से किसान परेशान हैं। उन्हें बार-बार समितियों का चक्कर लगाना पड़ रहा है या निजी दुकानों से महंगे दामों पर खाद खरीदनी पड़ रही है।मौजूदा समय में गेहूं बोआई का काम तेजी से चल रहा है। इसके लिए किसानों को डीएपी खाद की जरूरत है। मालूम हो कि जिले में एक लाख 19 हजार हेक्टेअर क्षेत्रफल में गेहूं की बोआई का लक्ष्य है। जिले के लगभग चार लाख किसान गेहूं की खेती करते हैं। इस बीच डीएपी खाद की उपलब्धता न होने से किसानों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। हाल यह है कि जिन किसानों को दो बोरी खाद की जरूरत है, उन्हें मात्र एक बोरी खाद ही उपलब्ध हो रही है। किसानों का कहना है कि समिति पर प्रभारी यह कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं कि ऊपर से आदेश है कि एक एकड़ के लिए मात्र एक बोरी खाद ही संबंधित किसान को दी जाए।तहसील क्षेत्र आलापुर के घिन्हा गांव निवासी सूर्यभान ने कहा कि छह बोरी खाद की जरूरत है। एक एकड़ पर सिर्फ एक बोरी डीएपी खाद दी जा रही है, जबकि एक एकड़ के लिए दो बोरी खाद की जरूरत होती है। ऐसे में एक-एक बोरी खाद के लिए संबंधित समिति पर बार-बार चक्कर लगाना पड़ रहा है। इससे समय की बर्बादी होती है, साथ ही आर्थिक चपत भी लग रही है। किसानों के हित को देखते हुए जिम्मेदारों को ठोस कदम उठाना चाहिए।विकास खंड जहांगीरगंज के टड़वा निवासी मित्रसेन ने कहा कि समिति पर निराशा ही हाथ ही हाथ लग रही है। समिति प्रभारी कहते हैं कि ऊपर से निर्देश दिया गया है कि एक एकड़ पर सिर्फ एक बोरी डीएपी खाद दी जाए। कहा कि मैने चार बीघा में गेहूं की बोआई की है। इसके लिए कम से कम छह बोरी खाद की जरूरत है। एक बार में एक बोरी खाद मिलने से समस्या हो रही है। यदि खतौनी के आधार पर एक साथ खाद उपलब्ध करा दी जाए तो समस्या नहीं होगी।