आमिर। ब्यूरो चीफ। देवल। जौनपुर।जौनपुर। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश तृतीय, सचिव पूर्णकालिक, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण प्रशांत कुमार सिंह ने बताया कि उप्र राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण लखनऊ के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वावधान में ‘दहेज प्रतिषेध कानून, घरेलू हिंसा, लैंगिक अपराधों, कार्यस्थल पर यौन शोषण अधिनियम बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम एवं विभिन्न कानूनी’ विषयों पर मंगलवार को मुक्तेश्वर प्रसाद महिला महाविद्यालय में मिशन शक्ति विशेष अभियान के अन्तर्गत महिलाओं एवं बालिकाओं से सम्बन्धित कानूनों की जागरूकता हेतु विधिक साक्षरता, जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया।
जिला प्रोबेशन अधिकरी विजय पाण्डेय द्वारा बताया गया कि दहेज निषेध अधिनियम 1961 के अनुसार दहेज लेने देने या इसके लेन-देन में सहयोग करने पर 5 वर्ष की कैद और 15,000 रूपये के जुर्माने का प्रावधान है। दहेज के लिए उत्पीड़न करने पर भारतीय दण्ड संहिता की धारा 498ए जो कि पति और उसके रिश्तेदारों द्वारा सम्पत्ति अथवा कीमती वस्तुओं के लिए अवैधानिक मांग के मामले से संबंधित है के अन्तर्गत 3 साल की कैद और जुर्माना हो सकता है। धारा 406 के अन्तर्गत लड़की के पति और ससुराल वालों के लिए 3 साल की कैद अथवा जुर्माना या दोनों यदि वे लड़की के स्त्रीधन को उसे सौंपने से मना करते है। यदि किसी लड़की की विवाह के सात साल के भीतर असामान्य परिस्थितियों में मौत होती है और यह साबित कर दिया जाता है कि मौत से पहले उसे दहेज के लिए प्रताड़ित किया जाता था, तो भारतीय दण्ड संहिता की धारा 304 बी के अन्तर्गत लड़की के पति और रिश्तेदारों को कम से कम सात वर्ष से लेकर आजीवन कारावास की सजा हो सकती है। साथ ही केन्द्र, राज्य सरकार द्वारा चलायी गयी समस्त योजनाओं के बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया।
डिप्टी चीफ लीगल एड डिफेंस काउंसिल डॉ. दिलीप कुमार सिंह, असिस्टेंट लीगल एड डिफेंस काउंसिल अनुराग चौधरी, पैनल अधिवक्ता देवेन्द्र कुमार यादव ने भी जानकारी दी। इस अवसर पर प्रबन्धक आनंद मोहन श्रीवास्तव, प्राचार्य शिवचरन प्रजापति, प्रवक्ता डॉ. रेखा सिंह, महिला थाना प्रभारी सरोज सिंह व अध्यापकगण, बच्चें एवं अन्य उपस्थित रहें।
जिला प्रोबेशन अधिकरी विजय पाण्डेय द्वारा बताया गया कि दहेज निषेध अधिनियम 1961 के अनुसार दहेज लेने देने या इसके लेन-देन में सहयोग करने पर 5 वर्ष की कैद और 15,000 रूपये के जुर्माने का प्रावधान है। दहेज के लिए उत्पीड़न करने पर भारतीय दण्ड संहिता की धारा 498ए जो कि पति और उसके रिश्तेदारों द्वारा सम्पत्ति अथवा कीमती वस्तुओं के लिए अवैधानिक मांग के मामले से संबंधित है के अन्तर्गत 3 साल की कैद और जुर्माना हो सकता है। धारा 406 के अन्तर्गत लड़की के पति और ससुराल वालों के लिए 3 साल की कैद अथवा जुर्माना या दोनों यदि वे लड़की के स्त्रीधन को उसे सौंपने से मना करते है। यदि किसी लड़की की विवाह के सात साल के भीतर असामान्य परिस्थितियों में मौत होती है और यह साबित कर दिया जाता है कि मौत से पहले उसे दहेज के लिए प्रताड़ित किया जाता था, तो भारतीय दण्ड संहिता की धारा 304 बी के अन्तर्गत लड़की के पति और रिश्तेदारों को कम से कम सात वर्ष से लेकर आजीवन कारावास की सजा हो सकती है। साथ ही केन्द्र, राज्य सरकार द्वारा चलायी गयी समस्त योजनाओं के बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया।
डिप्टी चीफ लीगल एड डिफेंस काउंसिल डॉ. दिलीप कुमार सिंह, असिस्टेंट लीगल एड डिफेंस काउंसिल अनुराग चौधरी, पैनल अधिवक्ता देवेन्द्र कुमार यादव ने भी जानकारी दी। इस अवसर पर प्रबन्धक आनंद मोहन श्रीवास्तव, प्राचार्य शिवचरन प्रजापति, प्रवक्ता डॉ. रेखा सिंह, महिला थाना प्रभारी सरोज सिंह व अध्यापकगण, बच्चें एवं अन्य उपस्थित रहें।