दैनिक देवल ,ब्यूरो,सोनभद्र। जनपद में अवैध बालू खनन वर्षों से बड़ा मुद्दा रहा है। प्रशासन द्वारा लाख कोशिश करने के बावजूद अवैध खनन करने वालों का मनोबल काम नहीं हुआ। वन भूमि और नदी की जलधारा को अवरुद्ध कर अस्थाई रास्ते का निर्माण के जरिए अवैध बालू का खनन बेधड़क जारी है। कुछ ऐसा ही मामला कोरगी में बालू खनन के लिए आवंटित पट्टे में देखने को मिला। पट्टें की आड़ में अस्थाई रास्तें का निर्माण कर अवैध बालू खनन जारी है। तत्कालीन विधायक समेत अन्य की तरफ से खनन के नियमों को दरकिनार कर अवैध खनन किया जा रहा है, जिस पर आपत्ति दर्ज की गई है। पर्यावरण संरक्षण के नियमों की अनदेखी कर नदी के बीच अस्थाई रास्ता निर्माण कर पूर्व में चर्चित रही कोरगी बालू खनन साइट एक बार फिर सुर्खियों में है। नदी में बनाए गए अवैध अस्थाई रास्ते को वन विभाग द्वारा काटा जा चुका है लेकिन पट्टा धारक नियमों की अनदेखी कर रास्ते का पुनः निर्माण कर रहे हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार जिस जगह से रास्ते का निर्माण किया जा रहा है उस रास्ते में 40 मीटर से अधिक एरिया वन विभाग कि भूमि का दावा है जिसमें वन विभाग से बगैर अनुमति लिए कोई भी निर्माण नहीं किया जा सकता। इस बाबत तत्कालीन डीएफओ मनमोहन मिश्रा द्वारा रास्ते को कटवाया गया था। तीन दिन पूर्व रास्ते के निर्माण की सूचना प्राप्त होने पर वन विभाग की टीम ने पाॅटे गए रास्ते को पुनः कटवाते हुए वन भूमि पर रास्ते के निर्माण पर रोक लगा दी थी। बावजूद इसके बृहस्पतिवार को इस रास्ते को पाटने को पोकलेन ट्रैक्टर की कवायद शुरू कर दी गई। उक्त मामले में ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है। एक तरफ प्रशासन द्वारा रास्ते को काटा जा रहा है तो दूसरी तरफ अवैध खनन करने वाले बेखौफ होकर रास्ते का निर्माण कर रहे हैं। इस बारे में डीएफओ रेणुकूट से संपर्क साधने की कोशिश की गई तो उनका सीयूजी नंबर बंद मिला, वहीं विंधमगंज रेंज इंचार्ज दूरभाष पर बताया कि उक्त मामले में 31 सितंबर को ही रास्ता कटवा दिया गया था। वन भूमि की 40 मी क्षेत्र में किसी भी तरह के रास्ते का निर्माण कर परिवहन न किए जाने की हिदायत दी गई है। नदी में धारा 20 की जमीन है जहां किसी भी प्रकार का निर्माण अवैध है। बताया कि बृहस्पतिवार को अवैध रास्ते के निर्माण का मामला संज्ञान में आया है जिसके लिए मौके पर टीम भेजी गई है। जांच कर दोषियों पर कार्यवाई की जाएगी।