काशी में बाढ़ की स्थिति हुई भयावह, किसी ने रिश्तेदार के घर ली शरण;
Author -
Dainik Deval
सितंबर 16, 2024
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देवल संवाददाता,वाराणसी: चेतावनी बिंदु पार करने के बाद खतरे के निशान की ओर बढ़ी गंगा के रौद्र रूप को लेकर लोग सकते में आ गए हैं। मारुति नगर में गंगा सड़क पर बहने लगी। जबकि, मणिकर्णिका घाट की गलियों में नावें चलने लगीं। यहां अंतिम संस्कार के लिए शवों को नावों से श्मशान घाट तक पहुंचाया जाता रहा। सामनेघाट, वरुणापार, बेटावर इलाके में भी गंगा अब सड़क पर बहने लगी हैं। वरुणापार इलाके में लोग सुरक्षित ठिकाना ढूंढने लगे हैं। 80 घाटों को डुबोने के बाद गंगा का रुख अब बस्तियों की ओर हो गया है। वहीं, बलिया में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से और गाजीपुर में चेतावनी बिंदु के ऊपर बह रहा है।रविवार की दोपहर एक बजे गंगा चेतावनी बिंदु 70.262 मीटर को पार कर गई। बलिया में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान 57.615 मीटर से ऊपर 58.32 मीटर पर बह रहा हैं। गाजीपुर में गंगा का जलस्तर चेतावनी बिंदु 62.105 मीटर के ऊपर 62.70 मीटर पर बह रहा है। केंद्रीय जल आयोग की ओर से जारी बाढ़ बुलेटिन के अनुसार सुबह आठ बजे बनारस में गंगा का जलस्तर 70.13 मीटर था और हर घंटे चार सेंटीमीटर की रफ्तार से पानी बढ़ रहा था। दोपहर में एक बजे गंगा का जलस्तर चेतावनी बिंदु 70.262 मीटर को पार करके 70.28 मीटर पर पहुंच गया था। जलस्तर में तीन सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ोतरी जारी थी। दो बजे के बाद जलस्तर में आधे सेंटीमीटर की कमी आई और ढाई सेंटीमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से पानी बढ़ने लगा। तीन बजे जलस्तर 70.33 मीटर पहुंच गया था। शाम को चार बजे के बाद गंगा के जलस्तर में तीन सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ाव शुरू हो गया और शाम को छह बजे गंगा का जलस्तर 70.43 मीटर दर्ज किया। गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से महज 83 सेंटीमीटर नीचे बना हुआ। अस्सी से राजघाट के बीच के सभी 80 घाट पानी में डूब चुके हैं और गलियों तक पानी पहुंच गया है।मणिकर्णिका घाट पर शवदाह करने आए यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। घाट पर शवों की कतार गली तक लगी हुई है। नाव से शव को बारी-बारी से घाट की छत पर पर शवदाह के लिए ले जाया जा रहा है। गली से अंत्येष्टि स्थल तक शव ले जाने के लिए यात्रियों से 200 से 300 रुपए लिए जा रहे हैं।सारनाथ संवाद प्रतिनिधि ऋषिकांत के अनुसार गंगा में जल स्तर बढ़ने से वरुणा नदी के पानी में भी काफी बढ़ाव हुआ है। इस कारण रसूलगढ़, पुरानापुल, भट्टा क्षेत्र में रहने वाले लोगों के घरों में पानी घुस गया। अधिकांश लोगों ने अपने अपने रिश्तेदारों के यहां शरण ले रखी है तो कुछ लोग किराये के मकान में रह रहे हैं। वहीं रसूलगढ़ के लोग सलारपुर स्थित प्राइमरी स्कूल में ठहरे हुए हैं।लंका संवाद प्रतिनिधि प्रतीक पाठक के अनुसार ज्ञान प्रवाह नाले पर बने ऑटोमेटिक चैनलगेट में रिसाव होने से गंगा का पानी कॉलोनियों में घुसना शुरू हो गया है। लकड़ी का बूटा फंसने के बाद चैनल में लगे रबड़ के ब्रैकेट में लीकेज शुरू हुआ। दर्जनों की संख्या में मकान बाढ़ के पानी की चपेट में आ गए हैं। बढ़ते पानी को देखकर लोग अपने घरों को खाली कर वापस अपने गांव व रिश्तेदारों के घर जाने के लिए तैयारी करने लगे हैं। सामानों को सुरक्षित घरों में दूसरे तल पर रख रहे हैं। बिजली की सप्लाई अभी चालू है बिजली की सप्लाई बंद होने के बाद ज्यादा परेशानी लोगों की बढ़ जाएगी।दूसरी तरफ नगवां नाले से पानी बढ़ने के कारण नगवां में सौ से अधिक घरों के लोग घरों में ही कैद हो गए हैं। बाढ़ का पानी घर के अंदर सात फीट से अधिक घुस गया है। नाले किनारे की झुग्गी झोपड़ियां में पानी घुसने से लोग अब पलायन करने लगे हैं। पानी बढ़ने की यही रफ्तार ही तो गंगोत्री बिहार, संगमपुरी, डुमरांव बाग कॉलोनी, हरिजन बस्ती, साकेत नगर, रोहित नगर में नाले के किनारे रहने वाले लोग भी पानी से प्रभावित हो जाएंगे।गंगा के लगातार बढ़ते जल स्तर से रमना में गंगा के किनारे बना अंत्येष्टि स्थल रविवार को पानी में समा गया। गंगा के पानी में किसानों की 20 एकड़ से अधिक फसल भी डूब गई। तैयार फसल डूबने से किसान काफी मायूस हैं। अब बेचैनी है कि पानी तीन फीट से अधिक हुआ तो 200 एकड़ से अधिक फसल और सैकड़ों मकान पानी से चारों तरफ घर जाएंगे।