देवल संवाददाता,गोरखपुर: सिद्धार्थनगर और संतकबीरनगर के डीएम ने अपने-अपने जनपद में ब्लॉक प्रमुख के विरुद्ध प्राप्त अविश्वास प्रस्ताव को निरस्त कर दिया है। सिद्धार्थनगर में नौगढ़ की ब्लॉक प्रमुख रेनू मिश्रा और संतकबीरनगर में सेमरियावां के ब्लॉक प्रमुख के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आया था। दोनों ही अविश्वास प्रस्ताव उप्र क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत अधिनियम 1961 की धारा 15 के तहत अस्वीकार कर दिए गए थे।संतकबीरनगर में डीएम को प्रस्तुत अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार कराने के संबंध में हाजरा खातून समेत तीन अन्य क्षेत्र पंचायत सदस्यों ने उच्च न्यायालय में एक रिट दाखिल की थी। मंगलवार को सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अंजनी कुमार मिश्रा और जयंत बनर्जी की बेंच ने इसे जिलाधिकारी के आदेश के क्रम में खारिज कर दिया है।दरअसल, दोनों अविश्वास प्रस्ताव के प्रारुप को देखकर अंदाज लगाया जा सकता है कि ये ऐसे ही सामने नहीं आया। सिद्धार्थनगर में क्षेत्र पंचायत सदस्य नौगढ़ प्रियंका सिंह की ओर से उप्र क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत अधिनियम 1961 का धारा 15 के तहत ब्लॉक प्रमुख रेनू मिश्रा के खिलाफ खुद और 54 सदस्यों का शपथ पत्र युक्त अविश्वास प्रस्ताव का प्रत्यावेदन दिया गया था।इसके खिलाफ क्षेत्र पंचायत सदस्य राजेश श्रीवास्तव ने अगले दिन ही शपथ पत्र देकर बताया कि अविश्वास प्रस्ताव में उनकी ओर से कोई शपथ पत्र नहीं दिया गया है। इसके अलावा नौगढ़ ब्लॉक प्रमुख ने भी सात जिला पंचायत सदस्यों से नोटरी शपथपत्र दाखिल कर बताया कि इन सातों सदस्यों की तरफ से भी कोई अविश्वास प्रस्ताव पर सहमति या शपथ पत्र नहीं दिया गया था।डीएम ने जिला शासकीय अधिवक्ता को जांच सौंपी। इसमें सामने आया कि कुछ सदस्यों ने अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस पर हस्ताक्षर तो किया, लेकिन इस संबंध में किसी तरह का कोई शपथ पत्र नहीं दिया गया। इसके अलावा कई सदस्यों के शपथ पत्र पर उनके हस्ताक्षर नहीं थे।वहीं, शपथ पत्र के संबंध में नोटरी अधिवक्ता के रजिस्टर में सदस्यों के अंगूठे के निशान भी नहीं पाए गए। इसके अलावा अन्य बिंदुओं के आधार पर डीएम की तरफ से प्रियंका सिंह व 54 अन्य की ओर से दिए गए अविश्वास प्रस्ताव को कूटरचित व छलपूर्वक तैयार किया माना गया। इसी आधार पर डीएम ने अविश्वास प्रस्ताव के प्रत्यावेदन को अस्वीकार कर दिया था।संतकबीरनगर में क्षेत्र पंचायत सदस्य संगीता देवी, मनीष कुमार, बदरुन्निशा व हाजरा खातून की तरफ से डीएम के पास ब्लॉक प्रमुख सेमरियावां के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का प्रत्यावेदन दिया गया। सूत्रों ने बताया कि इस अविश्वास प्रस्ताव पर सिर्फ चार सदस्यों के हस्ताक्षर थे।बाकी सबने अलग-अलग हस्ताक्षर किए थे। जबकि, नियम के अनुसार अविश्वास प्रस्ताव के लिए संख्या बल कुल सदस्यों का आधा होना जरूरी है। इसके अलावा अविश्वास प्रस्ताव देते समय इनमें से किसी एक सदस्य को डीएम के सामने पेश होकर सभी के संयुक्त हस्ताक्षर वाले प्रत्यावेदन को देना होता है, लेकिन सेमरियावां ब्लॉक प्रमुख के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को डाक द्वारा कार्यालय में उपलब्ध कराया गया।ऐसे में 27 जुलाई को इस अविश्वास प्रस्ताव के प्रत्यावेदन के मामले में डीएम की तरफ से कोई कार्यवाही नहीं की गई थी। इसके खिलाफ चारों सदस्य उच्च न्यायालय चले गए थे। न्यायालय की तरफ से डीएम के अस्वीकार किए गए फैसले को सही ठहराते हुए रिट को खारिज कर दिया गया।यह भी जानकारी में आया है कि एक तरफ ब्लॉक प्रमुख के विरुद्ध 91 शपथ पत्र आये हैं तो पक्ष में 75 शपथ पत्र आए हैं, जिनमें से 47 ना केवल कॉमन हैं, बल्कि हस्ताक्षर भी मेल नहीं खा रहे हैं। जिलाधिकारी अलग से इसकी जांच करा रहे हैं।सूत्रों ने बताया कि जिले स्तर पर आए विकास के रुपयों पर गलत मंशा रखे लोगों की नजर है। लगभग सभी ब्लॉक पर वर्तमान में 15वें वित्त के तहत शासन की तरफ से करोड़ों रुपये आए हैं। इसमें इन दोनों ब्लॉक में भी मोटी रकम है। सूत्रों ने दावा किया कि विकास की जगह इन ब्लाकों पर गलत नीयत के साथ अविश्वास प्रस्ताव लाने का खेल चल रहा है सिद्धार्थनगर में तो केस तक दर्ज हो गया। मंशा है कि पुराने ब्लॉक प्रमुखों की जगह अपने चहेते ब्लॉक प्रमुखों को वहां स्थापित कर दिया जाए। इससे विकास के साथ अपने विकास की योजनाओं को भी तेजी से आगे बढ़ाया जाए। इसी मंशा के खिलाफ लोकसभा चुनाव के बाद क्षेत्र पंचायतों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने का खेल शुरू हो गया है।डीएम सिद्धार्थनगर डॉ राजा गणपति आर ने बताया कि नौगढ़ ब्लॉक प्रमुख के खिलाफ बीडीसी प्रियंका सिंह ने अविश्वास प्रस्ताव लाया था। अविश्वास प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया गया है। इसके अलावा इसमें कुछ बीडीसी के हस्ताक्षर फर्जी होने के मामले में प्रियंका सिंह के खिलाफ केस दर्ज कराया गया है।