एसटीएफ की जांच की जद में गोरखपुर के कुछ मोबाइल फोन विक्रेता और सिम बेचने वाले भी हैं। जांच में अभी तक सामने आया है कि अभय और दूसरे साथी ने गोरखपुर के बैंक रोड स्थित कई दूरसंचार कंपनियों के स्टोर से करीब 1300 कूटरचित आईडी पर सिम खरीदे थे।
महादेव बेटिंग एप मामले में एसटीएफ को महत्वपूर्ण जानकारी हाथ लगी है। पता चला है कि देवरिया के पकड़े गए दोनों आरोपियों ने 2021 में वहीं के एक अधिवक्ता के सहारे गोरखपुर के चार्टर्ड एकाउंटेंट (सीए) से कंपनी बनाई थी। इसी कंपनी पर महादेव गेमिंग गेमिंग वेबसाइट को इन्होंने तैयार किया था। इसे बनाने में जो रकम सीए को दी गई थी, उसका कुछ हिस्सा अधिवक्ता को भी मिला था।
आरोपियों ने एसटीएफ से पूछताछ में गोरखपुर के सीए अभिषेक सिंह का नाम भी बताया है। इसी आधार पर एसटीएफ ने दर्ज कराए केस में अभिषेक सिंह का नाम भी जोड़ा है।
सूत्रों ने बताया कि देवरिया के अधिवक्ता का गोरखपुर के सीए से जुड़ाव था। अधिवक्ता ने 2021 में देवरिया के संजीव सिंह और अभय सिंह को सीए के पास गोरखपुर भेजा था। यहां सीए से गेमिंग वेबसाइट के लिए कंपनी बनवाई गई थी।
एसटीएफ ने जांच में पाया कि ये वेबसाइट गोरखपुर की आईपी एड्रेस पर बनी है। इस कंपनी के प्लेटफाॅर्म पर भी डिजिटल हस्ताक्षर सीए अभिषेक सिंह का मिला। इसी आधार पर गोपनीय तरीके से एसटीएफ की टीम अभिषेक सिंह के पीछे लगी थी। सूत्रों ने बताया कि एसटीएफ यह भी जांच करेगी कि सीए ने भी कंपनी पर बनें गेमिंग वेबसाइट से आर्थिक लाभ लिया है या नहीं।
सूत्रों ने बताया कि देवरिया के अधिवक्ता का गोरखपुर के सीए से जुड़ाव था। अधिवक्ता ने 2021 में देवरिया के संजीव सिंह और अभय सिंह को सीए के पास गोरखपुर भेजा था। यहां सीए से गेमिंग वेबसाइट के लिए कंपनी बनवाई गई थी।
एसटीएफ ने जांच में पाया कि ये वेबसाइट गोरखपुर की आईपी एड्रेस पर बनी है। इस कंपनी के प्लेटफाॅर्म पर भी डिजिटल हस्ताक्षर सीए अभिषेक सिंह का मिला। इसी आधार पर गोपनीय तरीके से एसटीएफ की टीम अभिषेक सिंह के पीछे लगी थी। सूत्रों ने बताया कि एसटीएफ यह भी जांच करेगी कि सीए ने भी कंपनी पर बनें गेमिंग वेबसाइट से आर्थिक लाभ लिया है या नहीं।