सिर्फ 51 रुपये से शुरू किया था करियर, Sanjay Dutt की फिल्म से रातोंरात चमके थे पंकज उधास
Author -
Dainik Deval
फ़रवरी 26, 2024
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गजल गायक Pankaj Udhas नहीं रहे। 72 साल की उम्र में गायक ने आखिरी सांस ली है। पंकज उधास के निधन से उनके चाहने वालों को गहरा सदमा लगा है। चिट्ठी आई है गाने से उन्होंने दुनिया भर में अपनी एक अलग पहचान बनाई थी। पंकज उधास ने राजकोट से मुंबई तक का सफर कैसे तय किया और कैसे वह सिनेमा के गजल बादशाह बन गए जानिए यहां।करीब चार दशक तक अपनी जादुई आवाज से लाखों लोगों का दिल जीतने वाले गजल गायक पंकज उधास अब नहीं रहे। लम्बी बीमारी के बाद पंकज ने 72 साल की उम्र में आखिरी सांस ली। परिवार ने एक स्टेटमेंट जारी कर दुखद जानकारी साझा की है। गजल की दुनिया में अपना सिक्का चलाने वाले पंकज उधास का निधन म्यूजिक इंडस्ट्री के लिए एक बड़ी क्षति है। उन्होंने करीब 36 सालों तक अपनी गायिकी से इंडस्ट्री को कई सदाबहार गाने दिए हैं। जमींदार के परिवार से ताल्लुक रखने वाले पंकज उधास कैसे गायक बने, आइए आपको इसकी कहानी से रूबरू कराते हैं...17 मई 1951 को जेतपुर में जन्मे पंकज उधास एक जमींदार परिवार से ताल्लुक रखते थे। वह तीन भाइयों में सबसे छोटे थे। उनके बड़े भाई मनहार उधास (Manhar Udhas) सिनेमा जगत के जाने-माने गायक थे। उनके एक और भाई निर्मल उधास भी जाने-माने गजल गायक थे। मनोज उधास को अपने बड़े भाई मनहार से गायिकी में आने का चस्का लगा था।जब मनहार एक स्टेज परफॉर्मर हुआ करते थे, तब पंकज सिर्फ पांच साल के थे। भाई को गाता देख, उन्हें भी गायक बनने की इच्छा जागी और फिर उनके पिता ने उन्हें भी म्यूजिक इंस्टीट्यूट में डाल दिया। साल 1962 में इंडो चाइना युद्ध के दौरान पंकज उधास ने अपना पहला स्टेज परफॉर्मेंस दिया था। उन्होंने गाया था 'ऐ मेरे वतन के लोगों'। पंकज के इस गाने को उस वक्त इतना पसंद किया गया कि लोगों ने उन्हें 51 रुपये भेंट किया था।