प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 17 दिसंबर को रेलवे की 857 करोड़ की परियोजनाएं जनता को समर्पित करेंगे। अमान परिवर्तन (मीटर गेज से ब्राडगेज) रेलवे ट्रैक का दोहरीकरण और बीएलडब्ल्यू के 10 हजारवां लोकोमोटिव के लोकार्पण से कई जिलों ट्रेनों के साथ विकास भी रफ्तार भरेगा। हालांकि लोकार्पण की तैयारियां अंतिम चरण में होने के बाद भी रेल महकमा कुछ भी अधिकृत रूप से बोलने से बचता रहा।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 17 दिसंबर को रेलवे की 857 करोड़ की परियोजनाएं जनता को समर्पित करेंगे। अमान परिवर्तन (मीटर गेज से ब्राडगेज), रेलवे ट्रैक का दोहरीकरण और बीएलडब्ल्यू के 10 हजारवां लोकोमोटिव के लोकार्पण से कई जिलों ट्रेनों के साथ विकास भी रफ्तार भरेगा।इसके अलावा वाराणसी-नई दिल्ली वंदे भारत और वाराणसी से कन्याकुमारी के बीच नई ट्रेन बनारस और कैंट रेलवे स्टेशन का कद, यात्रियों की सहूलियतें बढ़ाएगी, जिससे कार्बन उत्सर्जन भी कम होगा।हालांकि, लोकार्पण की तैयारियां अंतिम चरण में होने के बाद भी रेल महकमा कुछ भी अधिकृत रूप से बोलने से बचता रहा।अमान परिवर्तन यानी मीटर गेज की कुल 34.37 किमी. की दूरी को ब्राड गेज में परिवर्तित कर लोकार्पित किए जाने से ट्रेनों की रफ्तार बढ़ेगी। कई रूटों पर कनेक्टिविटी बढ़ने से ट्रैफिक बढ़ेगा। गेज परिवर्तन के साथ रेलखंड को विद्युतीकरण हो जाने से ईंधन बचेगा, जिससे कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी।564 करोड़ की बलिया-गाजीपुर रेलखंड दोहरीकरण परियोजना राष्ट्र को समर्पित होने के साथ ही ट्रेनों की रफ्तार बढ़ जाएगी। बड़े शहरों से सीधी कनेक्टिविटी और आसान हो जाएगी। इसके अलावा 80 करोड़ की लागत से जफराबाद जंक्शन से जौनुपर सिटी स्टेशन के बीच 1.53 किमी. लंबी बाईपास कार्ड लाइन, जो जौनपुर जंक्शन को जौनपुर सिटी स्टेशन से जोड़ती है। नई व्यवस्था के अस्तित्व में आते ही ट्रेनों की आवाजाही में लचीलापन होगा और ट्रेन संचालन सरल हो जाएगी।इन जिलों को मिलेगा लाभ- मऊ, जौनपुर, बलिया, गाजीपुरबीएलडब्ल्यू में बना 10 हजारवां लोकोमोटिव भी राष्ट्र को समर्पित होगा। बनारस लोकोमोटिव वर्क्स, 1956 से भारतीय रेलवे की एक मल्टी-गेज, मल्टी-ट्रैक्शन और मल्टी-प्रोडक्ट विनिर्माण इकाई है, जो लोकोमोटिव निर्माण में बड़ी विरासत है। बीएलडब्ल्यू देश की बढ़ती परिवहन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए लोकोमोटिव का उत्पादन कर रेलवे को शीर्ष उचाइयों पर पहुंचाता है। रेलवे की 10 हजारवां लोकोमोटिव की उपलब्धि विनिर्माण उत्कृष्टता, आत्मनिर्भर भारत पहल के अनुरूप होने और अंतरराष्ट्रीय निर्यात के लिए रास्ते खोलने को रेखांकित करती है। यहां निर्मित लोकोमोटिव देश के अलावा बांग्लादेश, श्रीलंका, म्यांमार, तंजानिया, सूडान, सेनेगल, माली, मलेशिया, वियतनाम, अंगोला और मोज़ाम्बिक में परिचालन में हैं।