देवल संवाददाता, गोरखपुर ।नकली और नशीली दवाओं के धंधेबाजों पर मुख्यमंत्री की भृकुटी टेढ़ी हुई तो भालोटिया मार्केट में दो दिन से हंगामा मचा हुआ है। मंगलवार को औषधि प्रशासन विभाग के अनुसेवक मोहन तिवारी का निलंबन हुआ तो वहीं बुधवार को औषधि निरीक्षक (ड्रग इंस्पेक्टर) राहुल कुमार भी निलंबित कर दिया गया।
ड्रग इंस्पेक्टर पर औषधि अनुसेवक के इशारे पर कार्य करने और संदिग्ध व नशीली दवाओं की जांच नहीं करने के साथ ही नए ड्रग लाइसेंस के आवेदनों की जांच में लापरवाही समेत कई गंभीर आरोप हैं। पूरे मामले की जांच सहायक आयुक्त औषधि पूरन चंद को सौंपी गई है।
पूर्वांचल में दवाओं की सबसे बड़ी मंडी भालोटिया में मरीजों की सहूलियत के लिए मंगाई गई मनोचिकित्सा और दर्द निवारक दवाइयों को धंधेबाज नशेड़ियों के लिए पंजाब और दिल्ली में बेच रहे हैं। इस तरह का मामला पकड़े जाने के बाद दिल्ली पुलिस की स्पेशल टीम ने यहां छापा मारा तो कई बड़े चौंकाने वाले खुलासे हुए।
यहां तक कि एक दुकान ऐसी मिली, जिसका पंजीकरण तो है लेकिन वहां दूसरी दुकान चल रही थी। मामला मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंचा तो उन्होंने इस मामले में जांच और कार्रवाई के निर्देश दिए। सीएम की सख्ती के बाद मंगलवार को औषधि प्रशासन विभाग के औषधि अनुसेवक मोहन तिवारी को निलंबित करते हुए वाराणसी कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया।
इसके बाद बुधवार को ड्रग इंस्पेक्टर राहुल कुमार को निलंबित करते हुए आयुक्त कार्यालय लखनऊ से संबद्ध किया गया है। ड्रग इंस्पेक्टर पर लगे आरोपों की जांच सहायक आयुक्त औषधि पूरन चंद को सौंपी गई है।
औषधि अनुसेवक के इशारे पर कार्य कर रहे थे ड्रग इंस्पेक्टर
औषधि निरीक्षक राहुल कुमार पर आरोप है कि वह अपने अधीनस्थ औषधि अनुसेवक मोहन तिवारी के इशारे पर काम करते थे। नए ड्रग लाइसेंस के लिए आए आवेदनों पर रिपोर्ट लगाने में मनमानी करते थे। वहीं संदिग्ध और नशीली दवाओं का सैंपल भी नहीं लेते थे। उनके हर महीने का टारगेट तक पूरा नहीं हो रहा था।
ड्रग इंस्पेक्टर पर कोर्ट में चल रहे मामलों में भी पैरवी नहीं करने का आरोप है। बता दें कि निलंबित औषधि अनुसेवक पर व्यापारियों को धमकाकर पैसा वसूलने समेत कई अन्य गंभीर आरोप हैं।
धंधेबाजों की दुकानों पर नहीं होती थी जांच
करीब डेढ़ साल से गोरखपुर में तैनात ड्रग इंस्पेक्टर राहुल कुमार ने शहर के झुंगिया, भटहट, एम्स, सरदारनगर, बड़हलगंज समेत कई जगहों से नशीली दवाएं पकड़ीं थीं। कहीं भी खरीद-बिक्री की रसीद नहीं मिली।
इन दवाओं को कहां से खरीदा गया, बिना लिखा-पढ़ी के ये दवाएं कैसे बिकीं, गोरखपुर की दवा पटना और दिल्ली में क्यों बिकी ऐसे तमाम मुद्दे रोज ही चर्चा में आते थे, लेकिन नकली व नशीली दवाओं के धंधेबाजों की जांच नहीं होती थी। दिल्ली पुलिस की स्पेशल टीम जांच करने भालोटिया आई तो पहले ही दिन मार्केट के खेल को पकड़ लिया।
नशीली दवाओं की बिक्री और अवैध वसूली से दवा विक्रेता परेशान थे। मुख्यमंत्री ने इस गंभीर मामले का संज्ञान लिया और सख्त कार्रवाई की, इससे दवा व्यापारियों को राहत मिली है। यह कार्रवाई धंधेबाजों के लिए चेतावनी भी है कि मुख्यमंत्री के संज्ञान में आने के बाद बड़े से बड़े माफिया पर भी बिना किसी दबाव के सख्त कार्रवाई जरूर होगी