उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (NATO) के सेक्रेटरी जनरल मार्क रूटे ने दो दिन पहले एक बयान दिया, जो काफी चर्चा में है। वाशिंगटन में अमेरिकी सीनेटरों के साथ बैठक में रूटे ने कहा कि अगर भारत, चीन और ब्राजील ने रूस के साथ बिजनेस जारी रखा तो इन पर 100% सेकेंडरी टैरिफ लगाया जा सकता है। रूटे से एक दिन पहले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 14 जुलाई को रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर 100% टैरिफ लगाने की धमकी दी थी।
विशेषज्ञ रूटे की इस धमकी को अनुचित तो मानते ही हैं, इसे नाटो के अधिकार क्षेत्र से बाहर भी बताते हैं। नाटो एक सैनिक संगठन है, जो अपने हितों के लिए दूसरे देशों की सार्वभौमिकता की अवहेलना करते हुए अपनी आर्थिक नीतियां थोपना चाहता है। रूटे का यह बयान ट्रंप के बयान के एक दिन बाद ही आया है, इसलिए इसे ग्लोबल साउथ यानी विकासशील देशों पर दबाव बनाने की कोशिश भी माना जा रहा है। रूटे का बयान नैतिक रूप से भी गलत है क्योंकि खुद नाटो के सदस्य देश रूस से कच्चा तेल और गैस खरीद रहे हैं।
वर्ष 2022 में यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाए हैं। रोचक बात यह है कि रूस के प्राकृतिक गैस पर यूरोपियन यूनियन की निर्भरता काफी अधिक है, इसलिए उसने रूसी गैस पर प्रतिबंध नहीं लगाया है।