देवल, ब्यूरो चीफ,सोनभद्र। भाजपा जिला कार्यालय पर सोमवार को अखण्ड भारत के प्रणेता जनसंघ के संस्थापक डा श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि को बलिदान दिवस के रूप में मनाया गया। इस दौरान भाजपाईयों ने उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला। मुख्य अतिथि भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दर्शना सिंह मौजूद रहीं।
मुख्य अतिथि दर्शना सिंह, भाजपा जिलाध्यक्ष नन्दलाल, जिला प्रभारी अनिल सिंह, राज्यमंत्री संजीव कुमार गोंड़, विधायक भूपेश चौबे, पूर्व सांसद रामशकल व नरेन्द्र कुशवाहा ने डा श्यामा प्रसाद मुखर्जी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित किया।
मुख्य अतिथि राज्यसभा सांसद दर्शना सिंह ने कहा कि डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी एक बहुआयामी व्यक्तित्व के स्वामी ही नहीं, एक महान शिक्षाविद्, देशभक्त, राजनेता, सांसद, अदम्य साहस के धनी और सहृदय और मानवतावादी थे। भारत के राष्ट्रवादी महापुरूष डा श्यामा प्रसाद मुखर्जी के विचारों में संपूर्ण भारत दिखता था। वे सम्पूर्ण भारत को एक रूप मानते थे। डा मुखर्जी इस धारणा के प्रबल समर्थक थे कि सांस्कृतिक दृष्टि से हम सब एक हैं। इसलिए धर्म के आधार पर वे विभाजन के कट्टर विरोधी थे। वे मानते थे कि विभाजन संबंधी उत्पन्न हुई परिस्थिति ऐतिहासिक और सामाजिक कारणों से थी। वे मानते थे कि आधारभूत सत्य यह है कि हम सब एक हैं। हममें कोई अंतर नहीं है। हम सब एक ही रक्त के हैं। एक ही भाषा, एक ही संस्कृति और एक ही हमारी विरासत है। परंतु उनके इन विचारों को अन्य राजनैतिक दल के तत्कालीन नेताओं ने अन्यथा रूप से प्रचारित-प्रसारित किया। इसके बावजूद लोगों के दिलों में उनके प्रति अथाह प्यार और समर्थन बढ़ता गया। जिला प्रभारी अनिल सिंह ने कहा कि डा. मुखर्जी ने अल्प आयु में ही बहुत बड़ी राजनैतिक ऊचाइयों को पा लिया था। भविष्य का भारत उनकी ओर एक आशा भरी दृष्टि से देख रहा था। समाज कल्याण राज्यमंत्री संजीव कुमार गोंड ने कहा कि जनसंघ की स्थापना ब्रिटिश सरकार की भारत विभाजन की गुप्त योजना और षडयंत्र को एक दल विशेष के नेताओं ने अखण्ड भारत संबंधी अपने वादों को ताक पर रखकर विभाजन स्वीकार कर लिया। तब डा मुखर्जी ने बंगाल और पंजाब के विभाजन की मांग उठाकर प्रस्तावित पाकिस्तान का विभाजन कराया और आधा बंगाल और आधा पंजाब खंडित भारत के लिए बचा लिया। सदर विधायक भूपेश चौबे ने कहा कि डा मुखर्जी नेता प्रतिपक्ष के सदस्य के रूप में अपनी भूमिका निर्वहन को चुनौती के रूप में स्वीकार किया, और शीघ्र ही अन्य राष्ट्रवादी दलों और तत्वों को मिलाकर एक नई पार्टी बनाई जो कि विरोधी पक्ष में सबसे बड़ा दल था। भाजपा जिलाध्यक्ष नन्दलाल ने कहा कि श्यामाप्रसाद मुखर्जी अपने 52 वर्ष के जीवनकाल में और उसमें से भी 14 वर्ष के राजनीतिक जीवनकाल में वे स्वतंत्र भारत के प्रथम सरकार में कैबिनेट मंत्री के पद पर पहुंचे। इस मौके पर पूर्व सांसद रामशकल, नरेन्द्र कुशवाहा, जीत सिंह खरवार, शारदा स्वरतार अजीत रावत रुबी प्रसाट अजीत चौबे धर्मवीर तिवारी रामलखन सिंह, बृजेश श्रीवास्तव, प्रिया सोनकर, मीनू चौबे, आशीष केशरी, राजबहादुर सिंह, अनूप तिवारी, उदयनाथ मौर्या, ओमप्रकाश दूबे,
रमेश पटेल, रामसुन्दर निषाद, संतोष शुक्ला, शंम्भू नारायण सिंह, कैलास बैसवार, पुष्पा सिंह, कुसुम शर्मा, सुषमा गोंड, गुडिया त्रिपाठी, किरन त्रिपाठी, विनय श्रीवास्तव, रामबली मौर्या आदि मौजूद रहे।