लाल सागर व्यापार को लेकर आर्थिक थिंक टैंक जीटीआरआई (GTRI) ने रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के अनुसार लाल सागर के संकट का असर आने वाले वित्त वर्ष में भी देखने को मिलेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि एशिया अफ्रीका और यूरोप के देशों को उद्योगों में सबसे अधिक व्यवधान का सामना करना पड़ेगा। इसके अलावा इस संकट का असर भारतीय व्यापार पर भी पड़ रहा है।लाल सागर व्यापार को लेकर आर्थिक थिंक टैंक जीटीआरआई (GTRI) की रिपोर्ट आई है। इस रिपोर्ट के अनुसार हर दिन बढ़ते हमलों का अंत नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में इसका असर लाल सागर व्यापार पर देखने को मिल रहा है। लाल सागर संकट पिछले साल अक्टूबर में शुरू हुआ था। यह संकट तब शुरू हुआ जब यमन में ईरान समर्थित हाउथी आंदोलन ने यमनी तट के पास जहाजों पर हमला शुरू किया।ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने कहा कि बढ़ती शिपिंग, और बीमा लागत और शिपमेंट के लेट होने से वैश्विक मूल्य श्रृंखलाएं बाधित होंगी। दरअसल, लाल सागर संकट की वजह से मार्जिन कम होगा और मौजूदा स्थानों से कई कम-मार्जिन वाले उत्पादों का निर्यात अव्यवहारिक हो जाएगा।रिपोर्ट में कहा गया है कि एशिया, अफ्रीका और यूरोप के देशों को उद्योगों में सबसे अधिक व्यवधान का सामना करना पड़ेगा।लाल सागर व्यापार से हो रही परेशानी का असर भारतीय व्यापार, खासकर मध्य पूर्व, अफ्रीका और यूरोप के साथ व्यापार पर काफी असर पड़ रहा है। भारत, कच्चे तेल और एलएनजी आयात और प्रमुख क्षेत्रों के साथ व्यापार के लिए बाब-अल-मन्देब जलडमरूमध्य (Bab-el-Mandeb Strait) पर बहुत अधिक निर्भर है। ऐसे में इस क्षेत्र में किसी भी व्यवधान से पर्याप्त आर्थिक और सुरक्षा जोखिमों का सामना करना पड़ता है।वित्त वर्ष 2023 में भारत के कच्चे तेल के आयात का लगभग 65 प्रतिशत, जिसका मूल्य 105 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, इराक, सऊदी अरब और अन्य देशों से आया है।रिपोर्ट के अनुसार यूरोप और उत्तरी अफ्रीका के साथ कुल व्यापारिक व्यापार के लिए लाल सागर का लगभग 50 प्रतिशत आयात और 60 प्रतिशत निर्यात यानी कि कुल मिलाकर 113 अरब अमेरिकी डॉलर के व्यापार के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।रिपोर्ट में कहा गया है कि रोजमर्रा के बढ़ते हमलों और कोई अंत नजर नहीं आने के कारण, लाल सागर संकट 2024 में व्यापार की मात्रा पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा। इस संघर्ष के कारण शिपिंग लागत में वृद्धि (40-60 प्रतिशत) और मार्ग परिवर्तन (20 दिन अधिक तक), उच्च बीमा प्रीमियम (15-20 प्रतिशत), और चोरी और हमलों से संभावित कार्गो हानि के कारण देरी हो रही है।